सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी गई। कैबिनेट के इस कदम को लेकर जोरदार चर्चा चल रही है। लेकिन सरकार कैबिनेट बैठक के बाद पारंपरिक प्रेस ब्रीफिंग में शामिल नहीं हुई। पटेल खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और साल शक्ति राज्य मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर कहा सिर्फ मोदी सरकार में ही महिला आरक्षण की मांग को पूरा करने का नैतिक साहस था, जो कैबिनेट की मंजूरी से साबित हुआ। नरेंद्र मोदी जी को बधाई और मोदी सरकार को बधाई।
क्या है महिला आरक्षण बिल?
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। विधेयक के मुताबिक, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या से एक तिहाई उन समूह की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इन आरक्षित सीटों को राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्र में रोटेशन द्वारा आवंटित किया जाएगा। यह लैंगिक समानता और समावेशी शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होने के बावजूद भी काफी लंबे समय से अटका हुआ था। जबकि यह बिल 2010 में राज्यसभा में पारित हो गया था। लेकिन इसे आज तक संसद के निचले सदन में पेश नहीं किया गया। विधेयक में कहा गया कि संशोधन अधिनियम शुरू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो गई जाएगा।
संसद सत्र में ऐतिहासिक फैसले-
इससे पहले मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद सत्र में ऐतिहासिक फैसले लिए जाएंगे, जो भले ही छोटी अवधि के हो, लेकिन मौके पर बड़े होंगे। कैबिनेट की बैठक में राजनाथ सिंह, अमित शाह, पीयूष गोयल, प्रहलाद जोशी, निर्मला सीतारमण, एस जयशंकर, नितिन गडकरी, अर्जुन राम मेघवाल और धर्मेंद्र प्रधान समेत केंद्रीय मंत्री शामिल थे। जब यह घोषणा की गई है कि संसद सत्र 18 से 22 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा, तब से महिला आरक्षण विधेयक सहित विभिन्न विधेयकों पर अटकलें लगाई जा रही हैं। संसद के 75 में वर्ष पूरे होने पर लोकसभा में चर्चा पर अपनी टिप्पणी में उन्होंने इस बात पर जोर दिया है, कि पिछले कुछ सालों में महिला सांसदों का योगदान बढ़ रहा है।
It’s been a long-standing demand of the Congress party to implement women’s reservation. We welcome the reported decision of the Union Cabinet and await the details of the Bill. This could have very well been discussed in the all-party meeting before the Special Session, and… https://t.co/lVI9RLHVY6
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 18, 2023
कांग्रेस नेता जयराम रमेश-
विकास पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, महिला आरक्षण लागू करने की कांग्रेस पार्टी की लंबे समय से मांग चली आ रही थी। हम केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत करते हैं और विधेयक के विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। विशेष सत्र से पहले सर्व दलीय बैठक में इस पर बहुत अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी और गोपनीयता के परदे के तहत काम करने के बजाय अहम सहमति बनाई जा सकती थी। रविवार को उन्होंने एक विस्तृत पोस्ट साझा किया था, जिसमें बताया गया, कि कांग्रेस इस कदम का समर्थन कर रही है। उन्होंने CWC के प्रस्ताव का हवाला देते हुए कहा कांग्रेस कार्य सीमित ने समिति ने मांग की है, कि महिला आरक्षण विधेयक संसद के विशेष सत्र के दौरान पारित किया जाना चाहिए।
ये भी पढ़ें- क्या है Vishwakarma Scheme? किसे होगा इसका फायदा, जानें यहां
प्रधानमंत्री राजीव गांधी-
17 सितंबर को रमेश ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पहली बार में 1989 में पंचायत और नगर पालिकाओं के तहत एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। उन्होंने कहा कि लोकसभा में पारित हो गया, लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में विफल रहा। उन्होंने यह भी कहा कि तात्कालिक प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने अप्रैल 1993 में पंचायत और नगर पालिका में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक फिर से पेश किया था। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए। अब पंचायत और नगर पालिकाओं में 15 लाख से ज्यादा निर्वाचित महिला प्रतिनिधित्व करती हैं।
ये भी पढ़ें- J&K के बारामुला में घुसपैठ की कोशिश को सुरक्षा बलों ने कैसे किया नाकाम, जानें यहां