सनातन धर्म में पितृपक्ष बहुत ही महत्व रखता है सनातन धर्म में ऐसा कहा जाता है यदि किसी के जीवन में बनते हुए सभी काम बिगड़ रहे हैं, तो इसका मतलब यह है कि उसके जीवन में पितृ दोष है। ऐसे में पितृपक्ष की विभिन्न ज्योतिषीय उपाय कर पितरों को प्रसन्न कर अपने जीवन से पितृ दोष को दूर किया जा सकता है। धार्मिक विद्वानों के अनुसार, जब पितृपक्ष लगे तो तिथि के अनुसार पितरों के श्राद्ध कर्म करते रहने चाहिए। इसे परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है।
साल 2023 में पितृ पक्ष 29 सितंबर 2023 से शुरू होकर 14 अक्टूबर को समाप्त होगा। पितृपक्ष की विधि बेटे करते हैं, लेकिन अगर किसी घर में बेटा ना हो तो उसे स्थिति में श्रद्धा कर्म कौन करेगा और किस विधि के साथ करेगा। ताकि पितृ प्रसन्न रहे और घर परिवार पर उनका आशीष बना रहे। यह प्रश्न बहुत अधिक लोगों के मन में होता है चलिए आज इस प्रश्न का हल जानते हैं।
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धार्मिक विद्वानों की मानें, तो श्राद्ध का अधिकार केवल पुत्र का होता है। वहीं अगर किसी जातक का पुत्र नहीं हो तो उसका श्रद्धा भाई का पुत्र यानी भतीजा कर सकता है। वहीं अगर किसी घर में दो बेटे हैं तो पहले श्रद्धा का अधिकार बड़े पुत्र का होता है। किन्हीं परिस्थितियों में अगर बड़े बेटे की मौत हो जाएं या वह घर में ना हो, तो छोटा बेटा श्राद्ध कर्म की विधि कर सकता है। वहीं ज्योतिष विद्वान कहते हैं, कि अगर बड़ा बेटा विवाहित है तो उसे अपनी धर्मपत्नी के साथ मिलकर श्रद्धा की विधि करनी चाहिए। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनके बच्चों पर सदा आशीर्वाद बरसाते हैं। वही धर्म यह कहता है कि अगर किसी जातक के घर में उसका पुत्र या उसके भाई का पुत्र भी ना हो, तो ऐसी स्थिति में श्रद्धा करने का पूर्ण अधिकार उसकी पुत्री या उसकी नाती को प्राप्त होता है। उचित विधि के साथ श्रद्धा कर्म किए जाने पर पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
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