शास्त्रीय संगीत हो या फिर सूफ़ी संगीत, बदायूं हमेशा से ही संगीत के क्षेत्र में प्रसिद्ध रहा है। सहसवान घराना पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। ऐसे ही बदायूं घराने के कव्वाल तालिब सुल्तानी ने बदायूं का नाम रोशन किया है। मोहल्ला वेदों टोला में 1954 में जन्मे तालिब सुल्तानी को बचपन से ही ग़जल गायकी और कव्वाली का शौक था। छोटी सी उम्र में तालिब सुल्तानी ने अपना नाम पूरे देश में रोशन किया। दो दर्जन देशों में अपनी कला का परचम लहराया, जिनमें लंदन, जापान, जर्मनी, पेरिस, युगांडा, जद्दा, कीनिया, ऑस्ट्रेलिया प्रमुख है। कव्वाली को जीवित रखने के लिए उन्होंने बहुत से विभागों से कार्यक्रम भी किए, जहां उन्हें सम्मान से नवाजा गया।
अपने सूफियाना कलाम और गजल गायकी के जरिए देश में फैली भ्रांतियों को मिटाने के लिए कव्वाली को सहारा बनाया। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता मिशन, कुपोषण, जल संरक्षण जैसे अभियान को कव्वाली के माध्यम से जनता तक पहुंचाया। संगीत एवं शास्त्रीय संगीत को आगे बढ़ाने की परंपरा उनका परिवार संभाल रहा है। कव्वाली और ग़ज़ल गायन की विधा उनको विरासत में मिली थी, इसलिए संगीत उनके रोम-रोम में बसता था। अपनी ज़िंदगी के आखिरी दौर तक देश-विदेश में कार्यक्रम पेश करते रहे, तालिब हुसैन सुल्तानी का सूफियाना कलाम ग़ज़ल गायकी में अनोखा अंदाज सबसे जुदा है।
तालिब सुल्तान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार, आकाशवाणी, दूरदर्शन, ईटीवी उत्तर प्रदेश, संस्कृति निदेशालय उत्तर प्रदेश से जुड़कर तमाम कार्यक्रम देते रहे। तालिब सुल्तानी की कव्वाली को लेकर की गयी कोशिशों के लिए शासन-प्रशासन ने उन्हें कई बार सम्मानित किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तालिब सुल्तानी को अपनी सरकार में सम्मानित किया।
जनाब तालिब सुल्तानी साहब के इंतेक़ाल के बाद से ही उनके बेटों ने सूफी संगीत की विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया है। उस्ताद तालिब सुल्तानी म्यूजिक एकेडमी के ज़रिए हर साल जनाब तालिब सुल्तानी साहब की बरसी के मौके पर शास्त्रीय और सूफी गायन की महफिल सजायी जाती है। जिसमें संगीत की दुनिया के मशहूर नाम शामिल होते हैं। इस साल भी उस्ताद तालिब सुल्तानी म्यूजिक एकेडमी जनाब तालिब सुल्तानी साहब की याद में एक संगीतमय शाम का आयोजन करने जा रही है, जिसमें हिंदुस्तान के मशहूर कलाकार हिस्सा लेंगे।