NHAI: केंद्र सरकार लगातार देश में टोल मार्गों के सफर को और अच्छा बनाने के लिए लगातार कदम उठाती रहती है, फिर चाहे वह फास्ट टैग हो या फिर ऑनलाइन पेमेंट टोल लोगों को बेहतर सुविधा देने के लिए सरकार इस दिशा में राष्ट्रीय राजमार्गों पर आधारित सैटेलाइट आधारित टोलिंग प्रणाली शुरू करने वाली है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण जल्द ही नहीं प्रणाली को शुरू करने वाली है। उन्होंने राज्य को बताया कि NHAI 2024 तक राष्ट्रीय राजमार्गों पर सैटेलाइट आधारित टोल प्रणाली को शुरू करने वाली है। हाल ही में भारत ने विश्व बैंक में टोल प्लाजा पर प्रतीक्षा में कटौती की थी और भूमि बंदरगाहों पर निर्यात रिलीज समय को आसान बनाने के लिए प्रगति के बारे में सूचित किया था। फास्टेग के आने के साथ ही टोल प्लाजा पर औसत प्रतिशत समय घटकर मात्र 47 सेकंड रह गया था, जो कि पहले के 714 सेकंड के इंतजार से काफी कम है।
सैटेलाइट बेस्ड टोलिंग सिस्टम क्या है-
इस सैटेलाइट बेस्ड टोलिंग सिस्टम में राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार को बढ़ाया जा रहा है। इसमें वर्चुअल कॉलिंग पॉइंट भी शामिल किए जाएंगे। जैसे की कोई GNSS OBU से लैस हो या फिर वर्चुअल टोलिंग पॉइंट को क्रॉस करेंगे। तभी यात्री की पूरी जानकारी NAVIC जीपीएस से कैलकुलेट की जाएगी। इस दौरान जीएचएस सॉफ्टवेयर द्वारा ली गई जानकारी OBU से जुड़े यूजर्स के बैंक खाते से काट ली जाएगी। हाल ही में NHAI ने नागपुर में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क के विकास के लिए डीसी मल्टी मॉडल पार्क लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
673 करोड़ रुपए के अनुमानित लागत-
वैसे 673 करोड़ रुपए के अनुमानित लागत पर सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल के तहत 150 करोड़ क्षेत्र में विकसित किया जाएगा। विश्व बैंक के प्रतिनिधियों का कहना है कि भारत सरकार ने देश के बुनियादी ढांचे को और उन्नत बनाने के लिए अपनी रणनीतियों की रूपरेखा को तैयार किया है। इस वित्तीय वर्ष नवंबर के आखिर तक पहले 9 महीने में राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण और विस्तार 2011 और 2023 के बीच की समान अवधि की तुलना में लगभग 10% बढ़ गया। हालांकि निर्माण के लिए नई परियोजनाओं में उल्लेखनीय रूप से गिरावट देखी गई।
सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़े-
सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों की बात की जाए तो राजमार्ग मंत्रालय और सड़क परिवहन एजेंसियों ने नवंबर तक 5248 किलोमीटर का निर्माण पूरा किया है। जबकि पिछले साल के दौरान यह आंकड़ा 4,766 किलोमीटर था। सरकार को लगभग 12000 किलोमीटर के निर्माण और विस्तार के लक्ष्य के बावजूद इस लक्ष्य को हासिल करना चुनौती पूर्ण लगा। क्योंकि इस वित्तीय वर्ष में केवल 4 महीने बचे हैं। नई परियोजनाओं के लिए बोली लगाने की गति पिछले साल की तुलना में धीमी रही। 2023 की अप्रैल नवंबर अवधि में एजेंसियों ने 5,382 किलोमीटर तक के लिए बोली लगाई थी।
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मंजूरी में देरी को लेकर चिंताएं-
जबकि इस साल यह मुश्किल से 2,815 किलोमीटर तक ही पहुंच पाई। संशोधन भारत माला चरण एक या फिर वैकल्पिक कार्यकर्मों की मंजूरी में देरी को लेकर चिंताएं जताई गई है। जिससे कि परियोजना की बोली प्रभावित हो रही है। इस साल परियोजनायो को शुरू करने में कमी आई। जो वित्त वर्ष 2024 से 25 में निर्माण प्रगति को प्रभावित कर सकती है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि सड़क मंत्रालय को निर्देश दिए गए हैं कि वह बिना कैबिनेट की मंजूरी के भारतमाला के तहत नई परियोजना को शुरू न करें। इससे सरकार के प्रमुख कार्यक्रम के तहत 8000 किलोमीटर से ज्यादा का विकास प्रभावित होगा।
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