सर्दियों का मौसम कई लोगों को परेशान करता है, तो वहीं बहुत से लोग बेसब्री से सर्दियों के मौसम का इंतजार भी करते हैं। सर्दियों में बहुत से लोग बर्फ के साथ खेलने का मन बनाते हैं, यही कारण है की विंटर सीजन आते ही लोग कश्मीर और शिमला जैसे जगह पर स्नोफॉल देखने के लिए जाते हैं। हालांकि इस साल की सर्दी में बर्फ प्रेमियों को निराशा हाथ लगी है। दरअसल इस सीजन में गुलमर्ग समेत लगभग पूरे कश्मीर में बर्फ कहीं भी देखने को नहीं मिली। ऐसे में न सिर्फ पर्यटन बल्कि स्थानीय निवासी को भी मौसम के बदलाव से निराश हो रही है। वहीं मौसम में बदलाव को लेकर विशेषज्ञों ने भी चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि इस स्थिति के लिए अल-नीनो इफेक्ट और जलवायु परिवर्तन कारण हो सकता है। जिसकी वजह से कश्मीर में तापमान में बढ़ोतरी हुई है और बारिश भी नहीं है।
पूर्वी प्रशांत और मध्य सागर-
मौसम से जुड़ी अलीनानो एक विशेष घटना स्थित है, जो पूर्वी प्रशांत और मध्य सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से ज्यादा होने पर बनती है। आसान शब्दों में कहा जाए तो इस स्थिति की वजह से तापमान काफी गर्म हो जाता है। यही कारण है की पूरी दुनिया में मौसम के पैटर्न को प्रभावित होना पड़ता है। भारत में यह मानसून प्रणाली को प्रभावित करता है। जिससे कि देश के बहुत से हिस्सों में बारिश कम होती है और अन्य जगह बाढ़ आ जाती है।
सदी का सबसे बड़ा सूखा-
उदाहरण के लिए पिछले साल उत्तर भारत में सदी का सबसे बड़ा सूखा पड़ा था। ऐसा तब हुआ जब उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश की वजह से विनाशकारी भूस्खलन दिए। यह घटनाएं भी जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ उन दिनों के प्रभाव की थी। वहीं क्लाइमेट में हुए बदलाव और अलनिनो इफेक्ट की वजह से देश का लोकप्रिय स्पोट गुलमर्ग इस साल सूखा पड़ा हुआ है। एक ऑनलाइन मौसम पोर्टल के मुताबिक, इस साल अभी तक कोई भी बर्फबारी नहीं देखी गई।
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कश्मीर में बर्फबारी नहीं-
हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ है कि कश्मीर में बर्फबारी नहीं है। आंकड़ों के मुताबिक 2016 और 1998 में भी गुलमर्ग में सूखा पड़ा था। कश्मीर समेत गुलमर्ग के अन्य हिस्सों में बारिश न होने की वजह से मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ कमजोर रहा है। आसान भाषा में समझे तो इसका मतलब यह है कि पश्चिमी अरब सागर में कम वर्षा हुई, इसके अलावा अल नीनो का लगातार प्रभाव बर्फ गायब होने का एक कारण है। जिसकी वजह से अल नीनो और ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पर्यावरण में सर्कुलर पैटर्न प्रभावित हुआ, जो बर्फबारी ना होने के कारण बन गया।
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