Vat Savitri: वट सावित्री का व्रत 6 जून यानी कल गुरुवार को रखा जाने वाला है, इस दिन सुहागन महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। उत्तर भारत में इस व्रत का बहुत महत्व माना गया है। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा होती है और वट सावित्री का व्रत जेयष्ठ मास की अमावस्या पर मनाया जाता है। इस व्रत में केला, पान सुपारी, आम और लीची जैसे विशेष फलों को महत्व दिया गया है। इसके साथ ही घी में आटे से बने बरगद के पत्ते के आकार के पकवान का भी भोग चढ़ाया जाता है।
Vat Savitri में फलों का महत्व-
अगर फल फूल की बात करें तो वट सावित्री में आम, अंगूर, तरबूज, नारंगी, लीची, अनानास आदि उत्तम भोग वट सावित्री की पूजा में चढ़ाए जाते हैं और जितने भी रस भरे फल होते हैं, वह सब प्रसाद के रूप में यहां चढ़ाने चाहिए।
वट वृक्ष की पूजा-
ऐसी मान्यता भी है और शास्त्रों में भी कहा जाता है कि यह पूजा ना तो कुमारी कन्या रख सकती है और ना ही विधवा स्त्री और ना पुरुष। यह व्रत सिर्फ और सिर्फ सुहागन स्त्री कर सकती है, सुहागन पूजा करने के बाद पानी ग्रहण करती है और वट सावित्री के दिन वट वृक्ष की पूजा करने का तात्पर्य यमराज की पूजा करना होता है।
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बरगद का पेड़ ना होने पर क्या करें-
लेकिन जो महिला बरगद के वृक्ष के नीचे नहीं जा पाती है, उनके पास या उनके आसपास कोई पेड़ नहीं है। तो वह महिलाएं घर पर ही बरगद वृक्ष के चित्र की भी पूजा कर सकती है। चंदन, कुमकुम, अक्षत से पेड़ की पूजा करने के बाद वह 7 सूत को लपेटकर फल-फूल बांधकर और फिर विविध पूजा कर कथा कर सकती हैं।
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