Nirjala Ekadashi: एकादशी का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व माना जाता है, यह साल में कुल 24 बार आती है। जिस साल ज्यादा मांस पड़ते हैं, तो उस समय एकादशी 26 हो जाती हैं, ऐसे ही ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी व्रत के रूप में रखा जाता है। इस साल निर्जला एकादशी का काफी शुभ योग बन रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की विविधता पूजा करने से शुभ वालों की प्राप्ति होती है। इस बार की एकादशी सबसे कठोर एकादशी में से एक होती है। निर्जला एकादशी व्रत रखने से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति का वरदान मिलता है। आईए निर्जला एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में जानते हैं-
Nirjala Ekadashi तिथि और शुभ मुहुर्त-
पंचांग की मानें तो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून की सुबह 4:42 बजे से शुरू हो रही है, जो की 18 जून को सुबह 6:23 पर खत्म होगी। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर निर्जला एकादशी व्रत 18 जून को रखा जाएगा। निर्जला एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन होगा। इस साल निर्जला एकादशी के पारण का समय 19 जून की सुबह 6:15 बजे से शुरू कर 8:10 बजे तक रहने वाला है।
Nirjala Ekadashi पूजा विधि-
पूजा विधि की बात की जाए तो इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें, इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। इस दौरान उन्हें माला, पीला चंदन, फूल, अक्षत और भोग लगाने के साथ-साथ विष्णु मंत्र, विष्णु चालीसा और एकादशी व्रत का पाठ भी करें। आखिरी में विधिनत आरती करें।
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महत्व-
निर्जला एकादशी को मोक्षदायिनी एकादशी के रूप में भी जाना जाता है, इस दिन बिना जल ग्रहण किए दिनभर व्रत रखा जाता है और अगले दिन यानी की द्वितीया तिथि के दिन व्रत खोलते हैं। इसे सबसे कठिन और कठोर एकादशी में से एक माना जाता है। इस एकादशी को पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसके साथ ही पूरी रात जागकर भगवान विष्णु से संबंधित भजन कीर्तन भी किया जाता है। इसके साथ ही गरीबों और जरूरतमंदों को पानी, वस्त्र और कपड़े आदि दान करने का महत्व बताया गया है।
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