Speaker VS Opposition Leader: आज लोकसभा के सत्र में काफी हंगामा देखने को मिला, जिस तरह से नेता विपक्ष राहुल गांधी ने अभिवादन को लेकर स्पीकर ओम बिरला पर आपेक्ष किया और इसका जवाब स्पीकर ने भी दिया, इससे यह सवाल उठता है कि लोकसभा सदन में कौन बड़ा होता है। स्पीकर या फिर नेता विपक्ष? क्या स्पीकर नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ कोई कार्यवाही कर सकता है या फिर नहीं। इसका जवाब अगर संविधान के अनुसार देखा जाए, तो राज्यसभा के सभापति अपने सदन का पीठासीन अधिकारी और सर्वोच्च अधिकारी होता है।
लोकतांत्रिक इतिहास-
लोकसभा के अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है, भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में पहले भी ऐसा किया जा चुका है। सदन में तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत से लोकसभा के प्रस्ताव द्वारा कभी भी हटाया जा सकता है। ऐसे में यह बहुत साफ हो जाता है, कि लोकसभा को चलाने की पूरी जिम्मेदारी इसके अध्यक्ष की होती है। इस संचालन में अगर कोई बाधा उपस्थित कर रहा है या व्यवधान उपस्थित करते हुए नियमों की अवहेलना कर रहा है, तो उस पर कार्यवाही कर सकता है।
संविधान में कोई ज़िक्र नहीं-
कार्यवाही में वह क्या कर सकता है यह हम आगे जानेंगे, लेकिन पहले हम यह जान लेते की प्रोटोकॉल की अगर बात करें या सदन में शीर्षक कम या पद की वरिष्ठता की बात की जाए तो कौन बड़ा होता है और सक्षम अधिकारी होता है। यह स्पीकर होता है या फिर नेता प्रतिपक्ष। वैसे नेता प्रतिपक्ष का संविधान में कोई ज़िक्र नहीं है, लेकिन संसदीय तौर पर ऐसी एक व्यवस्था 1959 में बनाई गई थी और फिर 1977 में इसे पुख्ता रूप दे दिया गया था।
नेता प्रतिपक्ष-
नेता प्रतिपक्ष वह होता है, जिसकी पार्टी के पास विपक्ष में सबसे ज्यादा और कम से कम सदन की कुल सदस्य संख्या की 10 सीटें हो। निश्चित तौर पर लोकसभा सदन में जब कार्यवाही चलती है, तो स्पीकर की अध्यक्षता में चलती है और उस समय सदन में स्पीकर सबसे बड़ा होता है। वहां उसके पास सबसे ज्यादा अधिकार है। लीडर या अपोजिश़न निश्चित तौर पर हाउस के नेता के बाद कम महत्व रखता है। लोकसभा में हाउस का नेता प्रधानमंत्री होता है। उसके बाद नेता विपक्ष का नंबर आता है।
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किसका पद बड़ा-
उसे सदन में पदानुक्रम महत्व के अनुसार तीसरे नंबर पर रखा जाता है। स्पीकर अनुचित व्यवहार पर नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है। संविधान मामलों के जानकार और अध्याय आईएएस अकादमी के प्रमुख विनय सिंह का कहना है कि बेशक स्पीकर सदन का सर्वोच्च पदाधिकारी होता है, वह नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है। लेकिन यह जरूर देखा जाता है, कि वह कोई भी कार्यवाही अगर करता है तो कितनी संविधान सम्मत है, सदन की गरिमा के अनुकूल है और कितनी जानबूझकर है, वह कानूनी तौर पर कसौटी पर कितनी खरी उतरती है।
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