Chandrababu Naidu’s demand: इस समय वित्त मंत्रालय और बीजेपी में बजट को लेकर खलबली मची हुई है, एक ओर सरकार के सामने बजट तैयार करने की टेंशन है तो दूसरी ओर NDA गठबंधन के चंद्रबाबू नायडू ने उनके लिए एक और मुसीबत खड़ी कर दी है। सूत्रों के हवाले से यह कहा जा रहा है कि मिटिंग के लिए दिल्ली आए चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी के सामने एक बहुत बड़ी डिमांड रख दी है। जिसने सरकार की टेंशन को बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि मोदी और अमित शाह को यह पहले से ही अंदाज़ा था, कि जब नायडू दिल्ली आएंगे तो वह भारी भरकम डिमांड रखेंगे और ऐसा ही हुआ। आईए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
भारी भरकम डिमांड-
दरअसल इस समय बीजेपी में बजट को लेकर बड़ी टेंशन चल रही है, क्योंकि देश पर काफी कर्ज़ा है। दूसरी ओर नायडू बाबू ने अपनी डिमांड को बढ़ा दिया है। दरअसल पहले नायडू बाबू ने आंध्र प्रदेश के लिए करीब 20 हज़ार करोड़ तक की मांग रखी थी, लेकिन इस बार उनकी डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई। उनकी डिमांड्स की बात की जाए तो नायडू बाबू ने सरकार से BPCL की तेल रिफाईनरी मांगी है, इसके अलावा उन्होंने स्मार्ट सिटी, कई मेट्रो प्रोजेक्ट्स की मांग की है। उनकी सभी डिमांड्स का बात की जाए तो उनकी यह डिमांड्स 1 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा की हैं।
सिर्फ एक राज्य डिमांड-
अब सोचने वाली बात यह है कि यह डिमांड सिर्फ एक राज्य की पार्टी की है, लेकिन और भी कई राज्य हैं जिनकी अभी डिमांड्स बाकी है, वह सभी कहां जाएंगे। इसके अलावा चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि नई राजधानी अमरावती को डेवलप करने के लिए 50 हजार करोड़ रुपए चाहिए। ध्यान देने वाली बात है कि यह डिमांड पहले 15 हज़ार करोड़ रुपए से शुरु हुई थी, जो अब इतनी ज्यादा बढ़ गई है। इसके अलावा सिंचाई प्रोजेक्ट जिसका नायडू ने एलान कर दिया है के लिए उन्होंने 12 हज़ार करोड़ रुपए की डिमांड कर दी है।
आंध्र प्रदेश की स्थिति खराब-
इसके अलावा आंध्र प्रदेश पर बहुत बड़ा कर्ज़ा भी है साथ ही उनके पास सैलरी देने तक के पैसे नहीं है। इसे चुकाने के लिए भी नायडू बाबू ने 15 हज़ार करोड़ रुपए की मांग की है। इसके अलैवा पीएम की विकसित भारत योजना के तहत उन्होंने 10 हज़ार करोड़ रुपए की मांग की है। ऐसी ही बहुत सी डिमांड्स के चलते यह आंकड़ा बहुत बड़ा हो जाता है। नायडू बाबू की इस डिमांड ने पीएम मोदी को उलझन में डाल दिया है। अब पीएम मोदी के सामने यह उलझन है कि नायडू बाबू को मना कैसे किया जाए। क्योंकि अगर उन्हें मना किया जाएगा तो सरकारसे वह अपना समर्थन वापस ले सकते हैं।
कैसी है सरकार की स्थिति-
इससे साथ ही दूसरी ओर जल्द ही बजट भी आने वाला है और अगर इस बजट में नायडू बाबू को उनका शेयर नज़र नहीं आया तो उनका क्या रिएक्शन होगा, यह एक बहुत बड़ा सवाल है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार अभी इस स्थिति में ही नहीं है की वह किसी को एक लाख करोड़ रुपए दे सके, खासकर किसी एक राज्य को, क्योंकि अगर किसी एक राज्य को इतने पैसे दिए जाएंगे तो अन्य राज्यों का क्या होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय सरकार की स्थिति इतनी सही है ही नहीं कि वह इतने रुपए दे। इसके अलावा अभी और भी राज्यों की जिमांड बाकी है, खासकर नीतीश कुमार की डिमांड्स आना अभी बाकी है।
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सरकार से समर्थन वापस?
ऐसा भी कहा जा रहा है कि अगर नायडू बाबू की डिमांड्स को अगर को नहीं माना गया तो वह सरकार से अपना समर्थन वापस ले सकते हैं। क्योंकि यह उनके लिए एक ड्रीम प्रोजेक्ट है जिससे वह कॉम्प्रोमाइज़ नहीं करना चाहेंगे। समर्थन वापस लेने सरकार की स्ट्रेंथ कम हो जाएगी और कभी भी सरकार गिर सकती है। इसके अलावा विशेषज्ञों का कहना है कि यह नायडू बाबू के डिमांड्स की शुरुआत है क्योंकि जिस तरह से वह अमरावती सिटी प्रोजेक्ट को तैयार करने की बात कह रहे हैं, सिर्फ उसी प्रोजेक्ट में करीब पांच लाख करोड़ रुपए का खर्चा है, जो चार गुना ज्यादा है और सरकार के पास किसी एक राज्य को देने के लिए इतना पैसा है ही नहीं।
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मुश्किलें-
हालांकि अभी अन्य पार्टीयों की डिमांड आनी बाकी हैं। जो सरकार के लिए और भी मुश्किलें खड़ी सकती हैं। अब देखना यह है कि इस उलझन से पीएम मोदी और अमित शाह कैसे निपटते हैं, क्योंकि इन डिमांड्स को पूरी करने की स्थिति में तो वह है ही नहीं। इसके अलावा लालू प्रसाद यादव ने यह भविष्यवाणी तक कर दी है कि बीजेपी की सरकार अगस्त में गिर सकती है, अब बस समय बताएगा की यह भविष्यवाणी सही होगी या नहीं।