Brain Eating Amoeba: हाल ही में केरल से एक ऐसा मामला सामना आया है, जिसने सभी को चिंता में डाल दिया है। केरल से एक ऐसे वायरस का मामला सामने आया है, जो दिमाग को खाने का काम करता है। इस वायरस में अमीबा शामिल है, जो कि इंसान के दिमाग को खा जाता है। इसे वैज्ञानिक रूप से नाइजीरिया पावलोरी के नाम से जाना जाता है। यह दुर्लभ और जानलेवा संक्रमण पहले ही इस क्षेत्र में कई बच्चों की जान ले चुका है। जिससे चिकित्सा विशेषज्ञ और आम लोगों की चिंता बढ़ गई है। आज इस लेख में हम केरल के स्वास्थ्य संबंधित खतरे का विश्लेषण करेंगे।
वायरस का पहला मामला (Brain Eating Amoeba)-
ध्यान देने वाली बात यह है कि इस वायरस का पहला मामला भी केरल में ही आया है, इससे पहले मंकी पॉक्स वायरस का पहला मामला भी केरल से ही सामने आया था और यहीं से कोविड का पहला मामला भी सामने आया था। इस संक्रमण का नाम अमीबा मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस है। दूषित पानी के माध्यम से यह संक्रमण फैलता है और इसका मानव मस्तिष्क पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। केरल इस खतरनाक स्वास्थ्य खतरे से जूझ रहा है। इसीलिए अधिकारी संभावित घातक संक्रमण से बचाव के लिए उपाय के महत्व पर जोर दे रहे हैं। हाल ही में एक 14 साल के बच्चे में दुर्लभ बीमारी की पुष्टि की हुई है, बच्चे का एक निजी अस्पताल चल रहा है।
कितने मामले आए सामने? (Brain Eating Amoeba)
केरल में अब तक इस दिमाग खाने वाले अमीबा के चार मामले सामने आ चुके हैं और सभी मरीज बच्चे ही थे। जिसमें से तीन की पहले ही मौत हो चुकी है। 3 जुलाई को 14 साल के एक लड़के की संक्रमण से मौत हो गई। एक बच्चा तालाब में तैरने गया था, जिससे उसे संक्रमण हो गया। उससे पहले 25 जून को कन्नूर में 13 साल की लड़की की मौत हुई थी। संक्रमण का पहला मामला 21 मई को सामने आया था, जब एक 5 साल की बच्ची की मौत हो गई थी।
बीमारी के लक्षण-
साल 2023 और 2017 में केरल में यह बीमारी पहले भी सामने आ चुकी है। विशेषज्ञों कहना है कि जब अमीबा बैक्टीरिया दूषित पानी से नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं संक्रमण तब होता है, इस बीमारी के कुछ खास लक्षण हैं जैसे बुखार, सिर दर्द और उल्टी आना। विशेषज्ञों को कहना है कि घातक संक्रमण को रोकना जरूरी है। क्योंकि अगर इसका इलाज नहीं किया गया, तो यह 5 से 10 दिनों के अंदर ही मौत कारण बन जाता है। इसीलिए दूषित पानी से बचना जरूरी है और सफाई का सख्त ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है।
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संक्रमण से बचने के लिए सावधानी-
इसके साथ यह सलाह दी जाती है, कि सिर्फ ताजा और ठीक से पका हुआ ही भोजन करें। सब्जियों और फलों को खाने से पहले अच्छे से साफ करें और बारिश के मौसम में संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए झरनों में तैरने से बचना चाहिए। इसके अलावा संक्रमित व्यक्तियों से दूर रहने से बीमारी के संक्रमण और फैलने की संभावना कम हो जाती है। संक्रमण के गंभीर परिणामों से बचने के लिए सावधानियां बहुत जरूरी है। बारिश के मौसम में संक्रमण का जोखिम ज्यादा होता है, इसीलिए इस समय ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।
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