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Dastak India > Home > विचार > हरियाणा: मनोहर को झटका है मोहन की तैनाती, बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व नहीं चाहता था…
विचार

हरियाणा: मनोहर को झटका है मोहन की तैनाती, बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व नहीं चाहता था…

Dastak Web Team
Last updated: July 12, 2024 5:02 pm
Dastak Web Team
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Haryana
Photo Source - Google
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अजय दीप लाठर

Contents
मोहन लाल की नियुक्ति-विधानसभा चुनाव-मोहन लाल-नायब सिंह सैनी-भाजपा हाईकमान-

Haryana: लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद मोहन लाल बड़ौली को भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। लेकिन, मोहन लाल के नाम पर अंतिम मुहर कैसे लगी, इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ लोग इसे केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल का आशीर्वाद बता रहे हैं तो कुछ भाजपा के सीनियर नेताओं को साइड लाइन करने की बात कह रहे हैं। लेकिन, सच्चाई तो कुछ और ही निकल कर आ रही है और वह यह है कि मोहन लाल बड़ौली की तैनाती मनोहर लाल को बड़ा झटका देते हुए की गई है।

मोहन लाल की नियुक्ति-

मोहन लाल की नियुक्ति को लेकर जब परतें टटोली गई तो चौंकाने वाले खुलासे होने लगे। सबसे अहम तो यह कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपने किसी खास को ही प्रदेश अध्यक्ष बनवाना चाहते थे। इसलिए उनकी ओर से चार नाम आगे बढ़ाए गए थे। ये नाम थे, अजय गौड, संजय भाटिया, कृष्ण लाल पंवार व सुभाष बराला। अजय गौड़ मनोहर लाल के राजनीतिक सचिव रह चुके हैं और उनका नाम ब्राह्मण उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ाया गया। संजय भाटिया की करनाल लोकसभा सीट से सांसद बनने के बाद मनोहर लाल केंद्र में मंत्री बन चुके हैं और पंजाबी कोटे के तहत उनके नाम की पैरवी लगातार की गई।

विधानसभा चुनाव-

सुभाष बराला फिलहाल राज्यसभा सदस्य हैं, लेकिन मनोहर लाल के बेहद करीबी माने जाते हैं। इसलिए 2019 का विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारने के बावजूद उन्हें भारी भरकम चेयरमैनी दी गई। फिर राज्यसभा भी भिजवा दिया। हाल ही के लोकसभा चुनाव में बराला प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख थे, लेकिन भाजपा 5 सीट हार गई। इसके बावजूद किसी जाट के पाले में अध्यक्ष पद जाए तो फिर बराला को ही जिम्मेदारी मिले, इसके लिए मनोहर लाल अड़िग थे। जबकि, अनुसूचित जाति के कोटे में प्रदेश भाजपा की प्रधानी आए, तो फिर राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार को ही मिले, इसकी वकालत भी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल बखूबी कर रहे थे।

मोहन लाल-

लेकिन, इन सभी को नजरअंदाज करते हुए पार्टी हाईकमान ने सोनीपत से लोकसभा चुनाव हारने वाले मोहन लाल के नाम पर अपनी मुहर लगा दी। यह वही मोहन लाल हैं, जिनकी लोकसभा टिकट पर शुरूआती अडंगा मनोहर लाल ने ही लगाया था। अब ब्राह्मण कोटे से मनोहर की पहली पसंद अजय गौड़ को प्रधानी देने की बजाए मोहन लाल की ताजपोशी का श्रेय लेने की कोशिश मनोहर लाल व उनके शागिर्द कर रहे हैं, जो सच्चाई से परे है। आरएसएस के सूत्रों पर भरोसा करें तो पूर्व गृह मंत्री अनिल विज, पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ के नाम पर सिर्फ इसलिए विचार नहीं किया गया।

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नायब सिंह सैनी-

क्योंकि ऊपरी स्तर पर कोई नहीं चाहता था, कि इनकी अपेक्षाकृत बेहद जूनियर नायब सिंह सैनी को बतौर मुख्यमंत्री कार्य करने में किसी तरह की रूकावट पैदा हो। नायब सिंह सैनी से जूनियर नेता के हाथ में पार्टी की कमान जाए, ताकि वे स्मूद काम करते रहें। यही बात भाजपा हाईकमान को भी तुरंत समझ आ गई। इसके बाद ऐसे नाम पर विचार शुरू हुआ, जो नायब सिंह से जूनियर नजर आता हो। देखा जाए तो नायब 2014 से 2019 तक प्रदेश में विधायक एवं मंत्री रह चुके हैं और फिर 2019 में कुरुक्षेत्र से सांसद बन गए थे।

ये भी पढ़ें- RSS और योगी ने नहीं दिया 400 पार बीजेपी का साथ? इसलिए लगा चुनाव में जोर का झटका!

भाजपा हाईकमान-

लेकिन, मोहन लाल 2019 में ही पहली बार राई विधानसभा से जीत कर विधायक बने। इस बार लोकसभा चुनाव हार गए। ऐसे में भाजपा हाईकमान ने किसी वरिष्ठ नेता पर विचार करने की बजाए मोहन लाल के नाम की लॉटरी निकाल दी, जो पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बड़ा झटका है। क्योंकि, उनके सुझाए चारों नामों से किसी पर भी पार्टी ने गंभीरता से विचार ही नहीं किया। अब अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में मोहन लाल की अगुवाई में प्रदेश भाजपा कैसा प्रदर्शन कर पाती है, इस पर जरूर सभी की नजरें रहेंगी।

  • अजय दीप लाठर, लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं।
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