भाजपा के बहुमत में 32 कमी: क्या है असफलता की वजह?
2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार में 400 पार का नारा लगाने वाली बीजेपी के साथ ऐसा क्या हुआ कि वो बहुमत से नीचे 240 सीटों पर आकर बैठ गई। खुद भाजपा ने इस मुद्दे पर गहरा आत्मावलोकन करना शुरू कर दिया है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा ने बहुमत हासिल किया था, लेकिन इस बार उसके बहुमत में 32 सांसदों की कमी आई है। हालांकि एनडीए को जरुर 292 सीटें मिली हैं लेकिन इससे बीजेपी बैसाखी पर आ गई है। अब इस खराब प्रदर्शन की वजह बीजेपी इंडिया गठबंधन को नहीं बल्कि आरएसएस (आरएसएस) को मान रही है। सूत्रों की मानें तो दबी जुबां में बीजेपी के पदाधिकारी आरएसएस पर आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि अगर गुजरात, मध्यप्रदेश, उड़ीसा और कर्नाटक में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन न किया होता तो उसका बंटाधार तय था।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी का कठिन समय–
जिस उत्तरप्रदेश में 2014 में मोदी की बीजेपी ने 80 में से 71 सीटें हासिल की थी वो 2024 में केवल 33 सीटों पर सिमट कर रह गई है। एक राज्य के रुप में देखा जाए तो बीजेपी की ये बड़ी हार है। यहां पार्टी को चुनावी प्रक्रिया में तेजी से बदलते राजनीतिक समीकरणों का सामना करना पड़ा।
दलित वोट खिसका, योगी और आरएसएस को नजरअंदाज करना पड़ा भारी-
बसपा के हाथी की वोट भी बीजेपी को न मिलकर गठबंधन को प्राप्त हुई साथ ही योगी और आरएसएस की बेरुखी करने का खामियाजा गुजरात लॉबी को उठाना पड़ा है ऐसी चर्चाएं भी प्रदेश में हो रही हैं। चुनाव के दौरान नड्डा का आरएसएस के खिलाफ बयान हो या फिर रैलियों में भरे मंच पर योगी को नजरअंदाज करना हो ये सब बीजेपी के कोर वोटरों को ही अच्छा नहीं लग रहा था। खबर ये भी है कि अमित शाह ने राज्य में टिकट वितरण भी योगी को नजरअंदाज करके किया था, जिसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा है।
राज्यों में भाजपा की असफलता: संगठन की कमी का परिणाम–
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में भाजपा को झटका लगा है। इन राज्यों में, बीजेपा की सरकार होने के बावजूद, पार्टी को अपने संगठन और सरकारी कामकाज में तालमेल की कमी का सामना करना पड़ा है।
हरियाणा में जाट-गैर जाट की राजनीति पड़ी भारी-
जाट बेल्ट कहे जाने वाली हरियाणा ने भी बीजेपी को जोर का झटका दिया है। हरियाणा में कुल 10 लोकसभा सीटें हैं, अब तक हरियाणा पिछले 2 चुनावों से 10 की 10 सीटें बीजेपी को देता आया है। लेकिन इस बार हरियाणा ने पांच सीटें बीजेपी को तो 5 सीटें कांग्रेस को दी हैं, यहां हुड्डा फेक्टर भी चला है। बीजेपी यहां 10 साल से जाट बनाम गैर जाट की राजनीति का बीज बोते हुए भी आ रही थी, उन्होंने यहां पहले एक पंजाबी सीएम दिया फिर चुनाव के मुहान पर एक सैनी को सीएम बनाया, परिणामस्वरुप राज्य हाथ से निकल गया। यहां किसान आंदोलन का भी असर रहा।
कुछ राज्यों के जरिए बचाव में सफल भाजपा-
मध्य प्रदेश, गुजरात, ओडिशा और कर्नाटक जैसे राज्यों में, बीजेपा को अपने जमीनी संगठन और नेतृत्व की मजबूती का फायदा मिला है। ये राज्य पार्टी के लिए आशा की किरण बने और उन्हें एक साथी साथी राजनीतिक परिस्थिति मिली।