Arvind Kejriwal: सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले मामले में अंतरिम में जमानत दी जा चुकी है। लेकिन ईडी के ओर से उनकी गिरफ्तारी के मामले को सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका के मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा है। अब सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेच पर सुनवाई करने वाली है। केजरीवाल को अंतरिम जमानत तब तक दी गई है, जब तक मामला बड़ी बेच केो पास लंबित रहेगा।
Arvind Kejriwal सीबीआई की कस्टडी-
हालांकि अभी भी केजरीवाल जेल से बाहर आएंगे, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत ईडी के केस में दी है और अभी वह सीबीआई की कस्टडी में हैं। जिसके चलते उन्हें अभी भी उन्हें जेल में ही रहना होगा। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले में तीन सवाल तय करते हुए मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया। केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट में निचली अदालत के द्वारा घोटाले मामले में केजरीवाल को दिए गए समन को सही माना था।
पद छोड़ने के निर्देश-
कोर्ट का कहना है कि केजरीवाल को उनकी गिरफ्तारी के कारण वह उन्हें पद छोड़ने के निर्देश नहीं दे सकती है। यह उनका खुद का फैसला होगा, साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि सिर्फ पूछताछ के आधार पर गिरफ्तारी को अनुमति दी जा सकती है। वहीं केजरीवाल के वकील विवेक जैन का कहना है कि सीबीआई मामले में 18 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई है। इस मामले में फैसला आने के बाद ही पता चल सकेगा क्या केजरीवाल बाहर आ पाएंगे या फिर नहीं।
अंतरिम जमानत-
हालांकि उनके बाहर आने की संभावना और ज्यादा बढ़ चुकी है। केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री 90 दिनों से ज्यादा समय तक जेल में रहे हैं और वह चुने हुए नेता हैं। वह इस पद पर बने रहेंगे या फिर नहीं उन्हें इसका फैसला करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने फैसले में चुनावी फंडिंग को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 19 के मापदंड़ों के तहत ईडी के अधिकारों का हवाला देते हुए धारा 19 के प्रावधानों के पालन को लेकर सवाल खड़ा किया है।
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पीएमएलए की धारा-
कोर्ट का कहना है कि हमने ज़मानत के सवाल को एग्जामिन नहीं किया है, बल्कि पीएमएलए की धारा 19 के मापदंडों को परखा है। इन धाराओं की विस्तृत व्याख्या करने की जरूरत है। पीएमएलए की धारा 19 में गिरफ्तारी के नियमों की भी व्याख्या करने की जरूरत है। हमने पीएमएलए की धारा 19 और धारा 45 के बीच अंतर को समझाया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की मनी लॉन्ड्रिंग कानून की धारा 19 ईडी को यह अधिकार देती है कि अगर सबूत के आधार पर एजेंसी को लगता है कि कोई व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी है, तो वह उसे गिरफ्तार कर सकती है। ऐसी गिरफ्तारी के लिए एजेंसी को सिर्फ आरोपी को कारण बताना होता है।
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