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Dastak India > Home > देश > कांवड यात्रा के दौरान नेमप्लेटों वाले आदेश पर एनडीए ने बीजेपी को घेरा, जेडीयू ने कहा…
देश

कांवड यात्रा के दौरान नेमप्लेटों वाले आदेश पर एनडीए ने बीजेपी को घेरा, जेडीयू ने कहा…

Dastak Web Team
Last updated: July 19, 2024 2:50 pm
Dastak Web Team
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Muzaffarpur
Photo Source - Google
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Muzzafarnagar: पवित्र श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही मुजफ्फरनगर शहर में एक विवादास्पद निर्णय ने सामाजिक तनाव की स्थिति पैदा कर दी है। स्थानीय पुलिस प्रशासन ने कांवड़ यात्रा के दौरान सभी दुकानदारों को अपने नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया है, जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।

Contents
श्री राम भक्तों की आस्था का प्रतीक कांवड़ यात्रा-दुकानदारों की चिंता-राजनीतिक प्रतिक्रियाएं-एकता पर संकट-संवाद और समझ की आवश्यकता-एकता में विविधता का संदेश-

इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा, “यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत के विपरीत है। इससे लोगों के बीच विभाजन बढ़ेगा।”

VIDEO | “This decision is against PM Modi’s concept of ‘Sabka Sath, Sabka Vikaas, Sabka Vishwas’. This will increase the division (among people),” says JDU leader KC Tyagi on Muzaffarpur Police ordering shops to display names of owners during Kanwar Yatra.

(Full video available… pic.twitter.com/3NL5J4oxU2

— Press Trust of India (@PTI_News) July 19, 2024

श्री राम भक्तों की आस्था का प्रतीक कांवड़ यात्रा-

कांवड़ यात्रा हिंदू धर्म में श्रावण मास के दौरान होने वाली एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु पवित्र गंगा जल को अपने कंधों पर ले जाकर शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक महत्व रखती है, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है।

मुजफ्फरनगर के 45 वर्षीय दुकानदार रमेश कुमार ने बताया, “हर साल कांवड़ यात्रा के दौरान हमारे शहर में उत्सव जैसा माहौल होता है। हम सभी धर्म के लोग मिलकर श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। लेकिन इस बार यह आदेश सुनकर थोड़ी चिंता हो रही है।”

दुकानदारों की चिंता-

पुलिस के इस आदेश ने स्थानीय व्यापारियों में असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। कई दुकानदारों का मानना है कि यह कदम सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित कर सकता है। शहर के प्रसिद्ध मिठाई विक्रेता अहमद खान ने कहा, “मैं पिछले 30 सालों से यहां दुकान चला रहा हूं। हर साल कांवड़िए मेरी दुकान से मिठाई खरीदते हैं। मुझे डर है कि मेरा नाम देखकर कुछ लोग मेरी दुकान से खरीदारी न करें।”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं-

इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। विपक्षी दलों ने इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास बताया है। राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मनोज झा ने कहा, “यह फैसला स्पष्ट रूप से एक समुदाय को निशाना बनाने का प्रयास है। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि इसे तुरंत वापस लिया जाए।”

एकता पर संकट-

समाजशास्त्री डॉ. प्रीति शर्मा के अनुसार, “ऐसे निर्णय समाज में अविश्वास और भय का माहौल पैदा कर सकते हैं। यह न सिर्फ व्यापार को प्रभावित करेगा, बल्कि लंबे समय तक चली आ रही सामाजिक सद्भावना को भी नुकसान पहुंचा सकता है।”

संवाद और समझ की आवश्यकता-

इस विवाद के बीच, कई स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने और सभी पक्षों से बातचीत करने का आग्रह किया है। मुजफ्फरनगर के प्रसिद्ध समाजसेवी राजेश सिंह ने कहा, “हमें इस समय संयम और समझदारी से काम लेने की जरूरत है। कांवड़ यात्रा हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और इसे किसी भी तरह के विवाद से दूर रखा जाना चाहिए।”

ये भी पढ़ें- UP सरकार ने क्यों दिए दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के आदेश? यहां जानिए बड़ा कारण

एकता में विविधता का संदेश-

मुजफ्फरनगर की यह घटना हमें याद दिलाती है कि भारत की ताकत उसकी विविधता में है। ऐसे समय में जब देश विकास के नए आयाम छू रहा है, यह ज़रुरी है कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखें। कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक अवसर हमारी एकता को मजबूत करने का माध्यम होने चाहिए, न कि विभाजन का कारण।

ये भी पढ़ें-  Muzaffarpur में रेहड़ी और पटरी पर नंबर प्लेट लगाने के आदेश पर क्यों छिड़ा विवाद? दुकानों पर..

TAGGED:BIHAR NEWSCommunal HarmonyKanwar YatraKC TyagiMuzzafarnagar Police
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