खेल जगत में एक बड़ा विवाद सामने आया है। कांग्रेस नेता और पूर्व भारतीय हॉकी टीम के कप्तान परगट सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और केंद्र सरकार पर खेलो इंडिया योजना के तहत खेल फंड के “पक्षपातपूर्ण वितरण” का आरोप लगाया है।
खेल बजट में बढ़ोतरी, लेकिन वितरण पर उठे सवाल-
केंद्र सरकार ने इस साल खेल मंत्रालय के लिए 3,442.32 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। खेल बजट का एक बड़ा हिस्सा खेलो इंडिया को दिया गया है, जो वर्तमान सरकार का फ्लैगशिप प्रोग्राम है। पिछले साल की तुलना में इस साल बजट में 45.36 करोड़ रुपये की मामूली वृद्धि हुई है।
पंजाब और हरियाणा के साथ अन्याय?
परगट सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, “पेरिस ओलंपिक्स 2024 में 48 एथलीट भेजने के बावजूद, पंजाब और हरियाणा को क्रमशः 78 करोड़ और 66 करोड़ रुपये मिले, जबकि केवल 9 एथलीट भेजने वाले यूपी और गुजरात को 438 करोड़ और 426 करोड़ रुपये मिले। क्या यह पक्षपातपूर्ण वितरण नहीं है? BJP कब तक राज्यों के साथ यह भेदभाव जारी रखेगी?”
आंकड़ों से खुला राज-
पंजाब के विधायक ने केंद्र सरकार की खेलो इंडिया योजना के तहत खेल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए जारी किए गए फंड का राज्य और केंद्र शासित प्रदेशवार विवरण भी साझा किया। खेलो इंडिया योजना के तहत जारी किए गए 2,168.78 करोड़ रुपये में से अधिकांश हिस्सा BJP शासित राज्यों उत्तर प्रदेश (438 करोड़ रुपये) और गुजरात (426 करोड़ रुपये) को आवंटित किया गया है। दूसरी ओर, पंजाब को केवल 78.02 करोड़ रुपये और हरियाणा को 66.59 करोड़ रुपये मिले हैं।
क्या है खेलो इंडिया योजना?
खेलो इंडिया एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसका उद्देश्य देश में grassroots level पर खेलों को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत युवा प्रतिभाओं की पहचान करना, उन्हें प्रशिक्षण देना और खेल इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना शामिल है।
एक्सपर्ट की राय-
खेल विशेषज्ञ रोहित शर्मा कहते हैं, “फंड का समान वितरण बहुत जरूरी है। हर राज्य को अपने खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं देने का मौका मिलना चाहिए। अगर कुछ राज्यों को ज्यादा फंड मिलेगा तो दूसरे राज्यों के खिलाड़ी पीछे रह जाएंगे।”
आगे क्या?
इस मुद्दे पर सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार है। खेल प्रेमियों को उम्मीद है कि फंड के वितरण में पारदर्शिता लाई जाएगी और हर राज्य को उचित हिस्सा मिलेगा।