Maharashtra: शुक्रवार को महाराष्ट्र में अजब मामला देखने को मिला है। सत्तारुढ़ी दल के मंत्री नरहरि जिरवाल ने मंत्रालय भवन की तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी और सुरक्षा जाल पर अटक गए। वहीं जिरवाल के छलांग लगाने के बाद कुछ आदिवासी विधायक भी तीसरी मंज़िल से कूद गए। हालांकि सुरक्षा जाल पर वह लोग अटक गए। नहीं तो जान भी जा सकती थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें की अजीब पवार की पार्टी के नेता नरहरि जिरवाल महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर भी हैं। वह धनगर समाज को अनुसूचित जनजाति कोटे से आरक्षण देने का विरोध कर रहे हैं।
तीसरी मंज़िल से छलांग(Maharashtra)-
जिसके चलते जिरवाल ने तीसरी मंज़िल से छलांग लगाई और फिर पुलिस उन्हें ले गई। एकनाथ शिंदे दोपहर बाद विधायकों को बैठक के लिए बुला सकते हैं। जिससे उनके मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की जा सके। अग्रवाल के साथ-साथ अन्य भाजपा सांसद सुरक्षा घेरे में आए हैं। पुलिस द्वारा विधायकों को जेल से बाहर निकाले जाने के बाद वह लोग मंत्रालय परिसर में धरना देने लगे। वह सभी आदिवासी विधायक पंचायत अधिनियम 1986 के तहत सरकारी नौकरियों में आदिवासियों की भर्ती की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2023 से पेसे के तहत 17 अलग-अलग श्रेणियां में आदिवासियों की भर्ती की प्रक्रिया राज्य सरकार के स्तर पर पड़ी हुई है।
आदिवासी छात्रों की नियुक्ति (Maharashtra)-
उनका कहना है कि इन महीनों में शिक्षकों, राजस्व वंरक्षकों और स्वास्थ्य विभाग में अलग-अलग अन्य पदों के लिए भर्तीयां की गई हैं, जबकि गैर आदिवासी उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र दे दिए गए हैं। लेकिन जिन आदिवासी उम्मीदवारों के लिए पेसा में पद आरक्षित किए गए, उन्हें अभी तक भर्ती नहीं किया गया है। एक अधिकारी का कहना है, कि पेसा के तहत आदिवासी छात्रों की नियुक्ति की गई थी। लेकिन बाद में उन्हें बताया गया, कि उन्हें पूर्णकालिक नियुक्ति नहीं मिल सकती। उन्होंने एकनाश शिंदे से मिलने की कोशिश की। लेकिन वह नहीं मिल पाए, इसलिए उन्हें आक्रामक रुख अपनाना पड़ा। वह शुक्रवार को शिंदे से मिले, लेकिन वह उनके जवाब से संतुष्ट नहीं थे।
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शिंदे को लिखे पत्र में जिरवाल ने कहा-
इसलिए वह नेट पर कूद गए, उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया। करीब 15 से 16 आदिवासी विधायक मंत्रालय में थे और उनमें से कुछ नेट पर कूद गए। पिछले महीने शिंदे को लिखे पत्र में जिरवाल ने कहा था, कि महायुति सरकार को धनगरों को सूची में शामिल करने के बारे में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए और धनगर आरक्षण के बारे में टीआईएसएस की रिपोर्ट प्रकाशित की जानी चाहिए। उन्होंने अपने पत्र लेटर में लिखा था, कि उनका विरोध महायुति सरकार द्वारा आदिवासी विधायकों को कोई प्रतिक्रिया न देने के खिलाफ है, जो धनगर समुदाय को सूची में शामिल करने का विरोध कर रहे थे। जिरवाल का कहना है, कि धनगर समुदाय के सदस्य को सरकार द्वारा उनके विकास के लिए घोषित की गई, योजना से कोई समस्या नहीं है। लेकिन वह अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने के खिलाफ हैं।
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