UP By-Elections: समाजवादी पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुर्बानी दी थी और अब बारी कांग्रेस पार्टी की आ चुकी है। उत्तर प्रदेश की विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी न उतारने का फैसला किया है। इंडिया गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को दो सिटें गाजियाबाद और खैर सीट दी है। लेकिन कांग्रेस दोनों ही सीट पर अपने जीत को लेकर आश्वत नहीं है। जिसके चलते वह अब चुनाव से अपने कदम पीछे खींचने का फैसला कर रही है। वह अब सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों का समर्थन करने वाली है। इसका ऐलान कांग्रेस की ओर से जल्द ही किया जा सकता है।
कांग्रेस की ओर से पांच सीटों की डिमांड-
दरअसल बात यह है, कि कांग्रेस की ओर से पांच सीटों की डिमांड हुई थी। लेकिन कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से उन सीटों की मांग की थी, जहां बीजेपी को 2022 के चुनाव में हार मिली। लेकिन बात नहीं बन पाई, तो कांग्रेस की ओर से फूलपुर और मंझवा सीट मांगी गई। लेकिन अखिलेश यादव ने इन दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए। हालांकि गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी ने गाजियाबाद और खैर सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी। इन दोनों की सीटों पर जीतना इंडिया गठबंधन के लिए आसान नहीं है।
बात नहीं बन पाई-
यहां पर बीजेपी काफी मजबूत है, यही कारण है, कि कांग्रेस अपने हिस्से की दो सीटों को बदलना चाहती थी। लेकिन बात नहीं बन पाई, इसके बाद अब कांग्रेस ने मन बनाया है, कि वह अपने हिस्से की दोनों सिटें सपा को दे देगी। सूत्रों की माने, तो लोकसभा चुनाव में 6 सिटें जीतने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है। अब उसकी निगाहें 2027 के विधानसभा चुनाव पर है। कांग्रेस नहीं चाहती उपचुनाव लड़कर वह हारे और कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटे। इसके साथ ही कांग्रेस गठबंधन के तहत त्याग का संदेश भी देना चाहती है।
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त्याग का संदेश-
ठीक वैसे ही जैसे हरियाणा चुनाव में सीट न मिलने के बाद अखिलेश यादव ने कहा था, कि बीजेपी को हराने के लिए वह कुर्बानी दे रहे हैं। दरअसल कांग्रेस के खाते में जो सिटें आई हैं। वहां पर सपा की स्थिति भी कुछ ठीक नहीं है। साल 2022 में विधानसभा चुनाव में गाजियाबाद में बीजेपी को 61.37 फीसदी, वहीं सपा को 18.25 और कांग्रेस को 4.81 फ़ीसदी वोट मिले थे। यहां तक की लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने सीट को बहुत अंतर से जीता था। लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के खाते में थी। यही हाल खैर विधानसभा सीट का रहा।
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