Google Chrome: हाल ही में गूगल के क्रोम ब्राउज़र को लेकर खबरें सामने आ रही हैं, अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट गूगल पर क्रोम को बेचने के लिए दबाव बना सकता है। ग्लोबल रिपोर्ट की मानें, तो उस जस्टिस डिपार्टमेंट गूगल की पैरंट कंपनी अल्फाबेट पर क्रोम ब्राउज़र को बेचने के लिए दबाव बनाने के लिए जज कह सकता है। इस मामले से जुड़े लोगों के हवाले से यह जानकारी दी गई है। इसके अलावा एआई और गूगल के एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम को लेकर भी डिपार्टमेंट जरूरी कदम उठा सकता है। इसके अलावा जज अमित मेहता दिग्गज टेक कंपनी के लिए डेटा लाइसेंस को जरूरी कर सकते हैं।
नियमों के उल्लंघन का दोषी (Google Chrome)-
अगर यह सभी पैसे ले लिए जाते हैं, तो यह किसी भी टेक्नोलॉजी कंपनी के खिलाफ उठाया गया, सबसे बड़ा कानूनी कदम होगा। अगस्त के महीने में आए एक कोर्ट के फैसले ने गूगल को ट्रस्ट नियमों के उल्लंघन का दोषी माना था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, कि गूगल ने एडवर्टाइजमेंट मार्केट में अपने एकाधिकार का गलत फायदा उठाया है। कोर्ट का कहना था, कि सभी गवाहों और सबूतों को देखकर अदालत इस फैसले पर पहुंची है, कि गूगल एकाधिकार वादी है और उसने अपने एकाधिकार को बनाए रखने के लिए काम किया है।
गूगल ग्लोबल ब्राउज़र मार्केट-
मौजूदा गूगल ग्लोबल ब्राउज़र मार्केट पर नजर डालें, तो गूगल क्रोम की 65% की हिस्सेदारी है। वहीं एप्पल सफारी का मार्केट शेयर 21 फीसदी है। जबकि गूगल को एंड्रॉयड OS को लेकर भी कड़े फैसलों का सामना करना पड़ सकता है। रिपोट्स की मानें, तो गूगल को एंड्रॉयड ओएस को अपनी दूसरी सर्विसेज से अलग करना होगा। इसमें सर्च और गूगल प्ले मोबाइल सर्विस हैं। मान लो अभी आप एक एंड्रॉयड स्मार्टफोन खरीदते हो, तो उसमें गूगल की तमाम सर्विसेज फ्री इंस्टॉल होती हैं। हालांकि भविष्य में यह कहानी बदल सकती है।
ये भी पढ़ें- iPhone16 से बैन हटाने के लिए Apple ने इस देश को दिया 10 करोड़ डॉलर का ऑफर, जानें
फैसला होने में अभी वक्त-
गूगल आपको सर्च इंजन से लेकर मेल सर्विसेज और दूसरी सर्विसेज को अलग से जोड़ने की सुविधा दे सकता है। इस मामले में फैसला होने में अभी वक्त लगेगा। जज अमित मेहता का कहना है, कि साल 2025 में इस पर फैसला सुनाया जा सकता है। उसके बाद ही कंपनी इसके खिलाफ अपील कर पाएगी। क्रोम गूगल के लिए एक जरूरी एसेट है। इसके जरिए कंपनी की बड़ी कमाई होती है और इन सब के अलावा अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का वापस सत्ता में आना इस मामले में फेर-बदल कर सकता है। गूगल के खिलाफ इस केस की शुरुआत ट्रंप के पहले कार्यकाल से हुई, हालांकि इसमें फैसला बाइडेन के कार्यकाल में आया है।
ये भी पढ़ें- AI Chatbot ने क्यों किया स्टूडेंट को परेशान?अपनी जिंदगी खत्म करने को..