Himachal Ropeway Project: हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है जो राज्य के परिवहन और पर्यटन क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करने वाला है। पार्वाणू और शिमला के बीच 40 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना न केवल देश में सबसे लंबी रोपवे होगी, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश के पर्यटन और अवसंरचना विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
वर्तमान चुनौतियां और समाधान(Himachal Ropeway Project)-
वर्तमान में, पार्वाणू से शिमला की यात्रा एक चुनौतीपूर्ण अनुभव है। यात्रियों को 90 किलोमीटर की दुर्गम सड़क मार्ग तय करना पड़ता है, जिसमें भीड़भाड़, यातायात की समस्या और असुविधाजनक यात्रा शामिल है। विशेष रूप से पर्यटन के मौसम में, यह यात्रा और भी कठिन हो जाती है। नई रोपवे परियोजना इन समस्याओं का स्थायी समाधान प्रदान करेगी, जिससे यात्रियों को एक सुगम, सुरक्षित और मनमोहक यात्रा का अनुभव मिलेगा।
परियोजना के प्रमुख आयाम(Himachal Ropeway Project)-
हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 5,571 रुपए करोड़ का विशाल निवेश किया है। यह परियोजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत विकसित की जा रही है, जो निवेश और विकास के लिए एक नवीन दृष्टिकोण को दर्शाता है। रोपवे ट्रांसपोर्ट विकास निगम (RTDC) के निदेशक अजय शर्मा के अनुसार, यह परियोजना 2030 तक पूरी होने की उम्मीद है।
तकनीकी विशेषताएं-
रोपवे में दो अत्याधुनिक केबल कार सिस्टम होंगे, मोनो-केबल डिटेचेबल गोंडोला (MDG), प्रत्येक गोंडोला 8-10 यात्रियों को ले जा सकेगी। ट्राई-केबल 3S सिस्टम, इस सिस्टम में एक गोंडोला में 25 यात्री एक साथ यात्रा कर सकेंगे।
स्टेशन और अवसंरचना-
रोपवे मार्ग में कुल 11 स्टेशन स्थापित किए जाएंगे, जो यात्रियों को अधिक सुविधा और लचीलापन प्रदान करेंगे। इसमें तारा देवी, तारा देवी मंदिर, शोगी, वकनाघाट, वकनाघाट आईटी सिटी, करोल का टिब्बा, सोलन, दागशाई छावनी, जबाली और पार्वाणू स्टेशन शामिल हैं। प्रत्येक स्टेशन पर टिकट काउंटर होंगे और यात्री अपनी सुविधानुसार किसी भी स्टेशन पर चढ़ाई या उतराई कर सकेंगे।
पर्यटन और आर्थिक प्रभाव-
इस रोपवे का प्रभाव केवल परिवहन तक सीमित नहीं होगा। यह हिमाचल प्रदेश के पर्यटन उद्योग को एक नई ऊंचाई देगी। रोपवे की प्रारंभिक क्षमता घंटे में 904 यात्रियों को ले जाने की है, और वार्षिक 25 लाख यात्रियों की सेवा करने का लक्ष्य है। दीर्घकालिक योजना के अनुसार, 2063 तक यह रोपवे एक करोड़ यात्रियों की वार्षिक सेवा कर सकेगी।
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पर्यावरण और प्राकृतिक सौंदर्य-
रोपवे यात्रा न केवल एक परिवहन समाधान है, बल्कि एक अद्वितीय पर्यटन अनुभव भी। यात्री हिमाचल की मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकेंगे, जबकि एक सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का अनुभव करेंगे। यह परियोजना पर्यटन के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल परिवहन का एक बेहतरीन उदाहरण होगी।
हिमाचल प्रदेश की यह रोपवे परियोजना न केवल एक परिवहन परियोजना है, बल्कि राज्य के विकास और पर्यटन की संभावनाओं को एक नई दिशा देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना भारत में पर्यटन अवसंरचना के विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण साबित होगी।
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