Maha Kumbh 2025: 13 जनवरी 2025 से शुरू हुआ, महा कुंभ एक ऐसा आध्यात्मिक महोत्सव है, जो पूरे भारत और विश्व भर से संतों, साधुओं और भक्तों को एक साथ लाता है। यह महोत्सव गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम पर आयोजित किया जा रहा है, जो 144 वर्षों बाद अपने ऐतिहासिक स्थान पर वापस लौटा है। इस बार का कुंभ मेला कुछ अलग ही है, क्योंकि देश के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस आध्यात्मिक यात्रा में शामिल होंगे।
फरवरी 5 आध्यात्मिक महत्व का दिन(Maha Kumbh 2025)-
प्रधानमंत्री मोदी ने 5 फरवरी को अपने शाही स्नान के लिए चुना है, जो कि हिंदू पंचांग में एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। माघ अष्टमी के इस दिन को हिंदू धर्म में बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, माघ महीने के आठवें दिन पर किए गए धार्मिक कर्म, दान और तपस्या को बेहद फलदायी माना जाता है।
भीष्म अष्टमी(Maha Kumbh 2025)-
फरवरी 5 का दिन भीष्म अष्टमी से भी जुड़ा हुआ है। महाभारत काल के महान पात्र भीष्म पितामह ने इसी दिन उत्तरायण और शुक्ल पक्ष में श्री कृष्ण के साक्षित्व में अपना शरीर त्या था। यह दिन भीष्म के अडिग संकल्प और आध्यात्मिक यात्रा की स्मृति में मनाया जाता है।
त्रिवेणी संगम-
प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर आयोजित होने वाला यह महा कुंभ सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की गहरी आध्यात्मिक विरासत का जीवंत प्रमाण है। लाखों श्रद्धालु इस पवित्र स्थान पर एकत्र होकर अपनी आस्था और विश्वास को समर्पित करते हैं।
ये भी पढ़ें- एक शताब्दी तक क्यों टिका पुराना पम्बन ब्रिज, जबकि नए ब्रिज की उम्र सिर्फ 58 साल
प्रधानमंत्री की उपस्थिति-
नरेंद्र मोदी के महा कुंभ में शामिल होने से इस आध्यात्मिक महोत्सव को एक नया आयाम मिल रहा है। उनकी उपस्थिति न केवल इस कार्यक्रम को महत्व देती है, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई को भी दर्शाती है। महा कुंभ 2025 सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एकता, श्रद्धा और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है। यह हमारी संस्कृति की उस गहराई को दर्शाता है जहां विविधता में एकता का संदेश छिपा हुआ है।
ये भी पढ़ें- हैदराबाद से सामने आया दिल दहला देने वाला मामला, रिटायर सेना कर्मी ने पत्नी की हत्या कर शव को उबाला..