Zomato and Swiggy: भारतीय फूड डिलीवरी मार्केट में एक नया और गंभीर विवाद सामने आया है। राष्ट्रीय रेस्तरां संघ (NRAI) ने जोमैटो और स्विगी जैसी बड़ी कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जो पूरी तरह से डिजिटल फूड इकोसिस्टम को हिला देने वाले हैं।
क्या है असली मुद्दा?(Zomato and Swiggy)
मोमोज के CEO और NRAI के अध्यक्ष सागर दर्यानी ने इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की व्यावसायिक रणनीतियों पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है, कि ये कंपनियां छोटे और मध्यम रेस्तरां के लिए अनुचित प्रतिस्पर्धा का माहौल बना रही हैं।
डेटा का दुरुपयोग?(Zomato and Swiggy)
दर्यानी ने आरोप लगाया, कि जोमैटो और स्विगी अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद रेस्तरां के ग्राहक डेटा का अनुचित उपयोग कर रहे हैं। वह थर्ड-पार्टी किचन से प्रोडक्ट बनवाकर अपने ब्रांड के तहत बेच रहे हैं। “ये कंपनियां हमारे सभी ग्राहकों का डेटा रखती हैं। वे एक समोसे या चाय के ऑर्डर को आसानी से अपने ब्रांड बिस्ट्रो में शिफ्ट कर सकते हैं, क्योंकि उन्हें कमीशन की चिंता नहीं है।”
10-मिनट डिलीवरी ऐप्स-
जोमैटो के बिस्ट्रो और स्विगी के स्नैक जैसे 10-मिनट डिलीवरी ऐप्स ने रेस्तरां उद्योग में एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। ये ऐप्स रेस्तरां के लिए असमान खेल का माहौल बना रहे हैं।
अनुचित कमीशन नीति-
NRAI का आरोप है, कि ये प्लेटफॉर्म्स अब रिजर्वेशन पर भी कमीशन वसूल कर रहे हैं और हाई डिस्काउंट के जरिए ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं। “डाइनिंग में उनकी कोई वास्तविक भूमिका नहीं है,” दर्यानी ने कहा। “वे सिर्फ ग्राहक को रेस्तरां तक ले जाते हैं। फिर भी वे रिजर्वेशन पर कमीशन वसूल कर रहे हैं।” दर्यानी का मानना है, कि आज 3-5% कमीशन, कल 7-10-15% हो जाएगा। “इन कंपनियों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।”
जोमैटो का प्रतिक्रिया-
जोमैटो के CEO दीपेंद्र गोयल ने इन आरोपों को नकारा है। उनका कहना है कि बिस्ट्रो रेस्तरां उद्योग के लिए कोई खतरा नहीं है और यह एक ‘प्राइवेट लेबल’ या ‘जोमैटो किचन’ नहीं है। NRAI ने 2021 में ही प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) में एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें जोमैटो और स्विगी पर बाजार में अपनी प्रभुत्व का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था।
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नई शिकायतें: अपडेट की तैयारी-
संघ अब अपनी याचिका में नए तथ्य और शिकायतें जोड़ने की तैयारी कर रहा है, जो इस विवाद को और भी गंभीर बना सकता है। दर्यानी ने व्यापार और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) जैसे वैकल्पिक प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा देने की भी वकालत की है। यह विवाद सिर्फ एक व्यावसायिक संघर्ष नहीं है, बल्कि डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलते समीकरणों को भी दर्शाता है। छोटे रेस्तरां और स्टार्टअप्स के लिए यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
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