Tulsi Gabbard: वाशिंगटन डीसी में एक महत्वपूर्ण मुलाकात के दौरान, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की नवनियुक्त राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से मुलाकात की। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के निमंत्रण पर अमेरिका पहुंचे मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान गबार्ड से मुलाकात कर उन्हें नई जिम्मेदारी के लिए बधाई दी।
इस मुलाकात की जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “वाशिंगटन डीसी में अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से मुलाकात की। उनकी नियुक्ति की पुष्टि पर बधाई दी। भारत-अमेरिका मित्रता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, जिसकी वह हमेशा से मजबूत समर्थक रही हैं।”
Tulsi Gabbard हिंदू पहचान और भारत के साथ विशेष संबंध-
तुलसी गबार्ड अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की पहली हिंदू सदस्य हैं, जिन्होंने भगवद्गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी। 2019 में न्यूयॉर्क में पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान उन्होंने सम्मान स्वरूप वही गीता उन्हें भेंट की थी। बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति पर उनके विचारों ने हिंदू-अमेरिकियों के बीच उन्हें विशेष पहचान दिलाई है।
Tulsi Gabbard राजनीतिक यात्रा और महत्वपूर्ण निर्णय-
पूर्व डेमोक्रेटिक कांग्रेसवुमन गबार्ड ने 2022 में पार्टी छोड़ दी थी। नवंबर 2024 में राष्ट्रपति ट्रम्प ने उन्हें राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में चुना। उनकी नियुक्ति की पुष्टि बुधवार को सीनेट में हुई, जिसके बाद वह अमेरिका की 17 खुफिया एजेंसियों के काम की देखरेख और समन्वय करेंगी।
भारत के प्रति समर्थन और मजबूत रुख-
गबार्ड ने कई मौकों पर भारत का खुला समर्थन किया है। 2019 के पुलवामा हमले के बाद उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया और पाकिस्तान की आलोचना की। 2002 के गुजरात दंगों के बाद मोदी के वीजा प्रतिबंध को उन्होंने “बड़ी भूल” बताया था। 2014 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पहल का भी उन्होंने समर्थन किया।
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व्यक्तिगत जीवन और हिंदू संस्कृति-
अपने हिंदू धर्म को लेकर गबार्ड बेहद स्पष्ट हैं। उनकी मां ने हिंदू धर्म अपनाया और अपने सभी बच्चों के हिंदू नाम रखे – भक्ति, जय, आर्यन और वृंदावन। 2015 में उन्होंने हवाई में वैदिक मंत्रों के बीच हिंदू रीति-रिवाजों से शादी की, जिसमें भाजपा नेता राम माधव भी शामिल हुए थे।
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वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर विचार-
गबार्ड ने बाइडेन प्रशासन की यूक्रेन नीति की आलोचना की है। उन्होंने अमेरिका में प्रो-पैलेस्टाइन प्रदर्शनकारियों की भी आलोचना की, उन्हें हमास के “कठपुतली” करार दिया।