यूपी में उपचुनाव में भाजपा के हारने के बाद योगी सरकार के लिए एनएचआरसी(नेशनल ह्यूमन राइट कमिशन) के आंकडे भी मुश्किल खडी कर सकते हैं। लोकसभा में केंद्रीय राज्य मंत्री राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने बताया कि पिछले साल उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक सांप्रदायिक हिंसा हईं। वहीं साल 2017 में कुल 822 धार्मिक हिंसाएं हुईं। साल 2016 में 703 धार्मिक हिंसाएं हुईं और 2015 में 751 घटनाएं हुई थीं। उन्होंने बताया कि साल 2017 में सांप्रदायिक हिंसा के सर्वाधिक 195 मामले उत्तर प्रदेश में हुए जबकि कर्नाटक में 100 मामले, राजस्थान में 91 मामले, बिहार में 85 मामले, मध्यप्रदेश में 60 मामले सामने आए।
अहीर ने बताया कि साल 2016 में सांप्रदायिक हिंसा की सबसे अधिक 162 घटनाएं उत्तर प्रदेश में हुई थीं जबकि कर्नाटक में ऐसी 101 घटनाएं, महाराष्ट्र में 68 घटनाएं, बिहार में 65 घटनाएं और राजस्थान में 63 घटनाएं हुई थीं। उन्होंने बताया कि सूचना के अनुसार, इन घटनाओं के कारण धार्मिक, जमीन एवं संपत्ति संबंधी विवाद, लिंग आधारित अपराध, सोशल मीडिया संबंधी मुद्दे तथा अन्य कारण हैं।
वहीं अन्य आंकडो के मुताबिक देशभर में पिछले 10 महीनों में 1,860 मामलों में हिरासत के दौरान अपराधियों की मौत हो गई। अहीर ने कहा कि इनमें 1,530 मौत न्यायिक हिरासत में हुईं जबकि 144 मौत पुलिस हिरासत में एक अप्रैल, 2017 से इस साल 28 फरवरी तक हुई हैं। एनएचआरसी की रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान 19 मामले फर्जी मुठभेड़ के भी सामने आए। इनमें छह मामले में उत्तर प्रदेश में सामने आए। एनएचआरसी की रिपोर्ट के हवाले से अहीर ने बताया कि न्यायिक हिरासत और पुलिस हिरासत में सबसे अधिक मौत 365 उत्तर प्रदेश में हुईं। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 127, 118 पंजाब और महाराष्ट्र, 107 मध्य प्रदेश और बिहार में 102 लोगों की मौत हुईं।