Delhi Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में 18 लोगों की मौत के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को भारतीय रेलवे की टिकट बिक्री व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए। मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने रेलवे की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से स्पष्ट पूछा कि जब एक कोच में यात्रियों की तय संख्या है, तो फिर उससे अधिक टिकट क्यों बेचे जाते हैं।
Delhi Station Stampede कानूनी प्रावधानों का पालन-
कोर्ट ने रेलवे अधिनियम की धारा 57 और 147 का हवाला देते हुए कहा कि इन प्रावधानों का सही तरीके से पालन किया जाता तो शायद यह दुर्घटना टाली जा सकती थी। धारा 57 के अनुसार प्रत्येक रेलवे प्रशासन को हर श्रेणी के डिब्बे में अधिकतम यात्री क्षमता तय करनी होती है।
Delhi Station Stampede रेलवे का पक्ष-
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि इस जनहित याचिका को विरोधात्मक रूप में नहीं लिया जा रहा है और रेलवे कानून का पालन करने के लिए बाध्य है। उन्होंने कहा कि यह एक “अभूतपूर्व” स्थिति थी और आश्वासन दिया कि याचिका में उठाए गए मुद्दों पर उच्चतम स्तर पर विचार किया जाएगा।
कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्देश-
अदालत ने यह भी इंगित किया कि नियमों के अनुसार, प्रत्येक डिब्बे में ले जाए जा सकने वाले यात्रियों की संख्या “डिब्बे के बाहर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित” की जानी चाहिए। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से यह भी पूछा कि रेलवे मौजूदा कानूनों को लागू करने के लिए क्या कदम उठाएगी, जो डिब्बों में यात्रियों की संख्या को सीमित करते हैं और बिना अधिकार के प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को दंडित करते हैं।
आगे की कार्रवाई-
कोर्ट ने रेलवे बोर्ड को निर्देश दिया कि वह याचिका में उठाए गए मुद्दों की जांच करे और एक हलफनामा दाखिल कर रेलवे बोर्ड द्वारा लिए गए निर्णयों का विवरण प्रस्तुत करे। मामले की अगली सुनवाई अगले महीने होगी।
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याचिका का महत्व-
कानूनी और व्यावसायिक पेशेवरों के संगठन अर्थ विधि द्वारा दायर की गई यह जनहित याचिका केवल हाल की भगदड़ की घटना तक ही सीमित नहीं है। इसमें डिब्बे में अधिकतम यात्री संख्या और प्लेटफॉर्म टिकटों की बिक्री के संबंध में मौजूदा कानूनी प्रावधानों के कार्यान्वयन की मांग की गई है।
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