DU Student Swiggy Delivery: आज के युवाओं में आत्मनिर्भर बनने की ललक बढ़ती जा रही है। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है, दिल्ली विश्वविद्यालय के 20 वर्षीय छात्र की, जो तीन विषयों में ऑनर्स की पढ़ाई के साथ-साथ स्विगी डिलीवरी पार्टनर के रूप में काम कर अपनी शिक्षा का खर्च खुद उठा रहा है।
DU Student Swiggy Delivery तीन विषयों में डिग्री के साथ पार्ट-टाइम जॉब-
यह छात्र कंप्यूटर साइंस, जर्मन और बीए (ऑनर्स) साइकोलॉजी का ट्रिपल कोर्स कर रहा है। रेडिट पर एक ‘आस्क मी एनीथिंग’ सेशन में उसने अपने अनुभवों को साझा किया। उसने बताया कि पार्ट-टाइम काम से वह प्रति माह 6,000 से 8,000 रुपये कमा लेता है।
DU Student Swiggy Delivery कमाई और खर्च का ब्योरा-
छात्र ने अपनी कमाई का पूरा विवरण साझा किया। 17 से 23 फरवरी के बीच लगभग पांच घंटे काम करके उसने 722 रुपये कमाए। इससे पिछले हफ्ते में दस घंटे की मेहनत से 1,990 रुपये की कमाई की। सबसे ज्यादा कमाई 3 फरवरी से शुरू होने वाले हफ्ते में हुई, जब साढ़े उन्नीस घंटे काम करके 3,117 रुपये कमाए। जनवरी के अंत से चार हफ्तों में कुल कमाई 7,200 रुपये से ज्यादा रही।
चुनौतियां और खर्चे-
रोजाना का पेट्रोल खर्च 100-150 रुपये आता है। डिलीवरी में रेटिंग का भी बड़ा महत्व है। अच्छी रेटिंग होने पर बेहतर भुगतान वाले ऑर्डर मिलते हैं। हालांकि, कभी-कभी मेहनत का उचित मूल्य नहीं मिलता। एक उदाहरण में, 8.4 किलोमीटर की दूरी तय करने और 28 मिनट खर्च करने के बाद भी महज 23 रुपये का भुगतान मिला।
कड़वे-मीठे अनुभव-
काम के दौरान कुछ बुरे अनुभव भी हुए। एक बार देर रात डिलीवरी में देरी होने पर ग्राहक ने मारपीट की धमकी दे दी, जबकि देरी का कारण ग्रीन पार्क इलाके में सड़कों पर लगी बैरिकेड्स थीं। लेकिन एक खास यादगार पल भी था, जब एक अस्पताल में एक छोटी बच्ची को मिठाई डिलिवर की। उसकी मां ने बेटे को जन्म दिया था, और खुशी में नाचती हुई बच्ची ने 100 रुपये की टिप दी।
आत्मनिर्भर बनने की राह-
इस युवा की कहानी बताती है कि आज का युवा किस तरह पढ़ाई के साथ-साथ काम करके आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल रहा है। यह कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो अपनी शिक्षा और सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें- बिजली के खंभे से टकराकर गिरी एक्सप्रेस ट्रेन की बैटरी, लोको पायलट की सूझबूझ से ऐसे टला हादसा
इस छात्र की मेहनत और लगन से यह साबित होता है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता, और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। साथ ही यह कहानी गिग इकोनॉमी में काम करने वालों की चुनौतियों और संघर्षों को भी उजागर करती है।
ये भी पढ़ें- अब तो चुनाव में भी दखल दे रहे हैं अवैध प्रवासी, कब करेंगे वापस? उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा..