Church to Temple Conversion: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के एक छोटे से गांव में एक अनोखी घटना सामने आई है, जहां एक तीन साल पुराने चर्च को भैरव जी भगवान के मंदिर में परिवर्तित किया जा रहा है। यह परिवर्तन तब हो रहा है जब पूर्व पादरी गौतम गरासिया सहित लगभग 30 लोगों ने हिंदू धर्म में वापस लौटने का फैसला किया है।
Church to Temple Conversion गांव सोडलादुधा में हो रहा है परिवर्तन-
बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित गांव सोडलादुधा में यह अद्भुत परिवर्तन देखने को मिल रहा है। ग्रामीणों और पूर्व पादरी गौतम गरासिया ने इमारत से पवित्र क्रॉस को हटा दिया है और दीवारों को भगवा रंग में रंग दिया है। क्षेत्र में एक संदेश वायरल हो रहा है जिसमें लोगों को 9 मार्च, 2025 को सुबह 11 बजे चर्च से भैरव जी के मंदिर में परिवर्तन के लिए आमंत्रित किया गया है।
🚨राजस्थान की ऐतिहासिक घर वापसी: चर्च बना भैरवजी मंदिर में तब्दील 🚨
1️⃣ राजस्थान के बांसवाड़ा में 125 साल पुराने चर्च को फिर से भैरवजी मंदिर में बदला जा रहा है! 🏛️✨ पूर्व पादरी गौतम गरासिया के नेतृत्व में, 30 परिवारों ने अपने पैतृक विश्वास को पुनः प्राप्त करते हुए, भारत माता… pic.twitter.com/Odh8rEakBj
— सनातनी हिन्दू राकेश (मोदी का परिवार) (@Modified_Hindu9) March 8, 2025
गौतम गरासिया, जो अब पूर्व पादरी हैं, ने बताया कि वह 30 साल पहले ईसाई धर्म में परिवर्तित हुए थे और सोडलादुधा गांव में परिवर्तित होने वाले पहले व्यक्ति थे। बाद में, जब उन्हें देखकर कई परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया, तो उन्हें पादरी बना दिया गया। वह अपनी झोपड़ी के पास रविवार की प्रार्थनाएं आयोजित करते थे।
Church to Temple Conversion मेरे जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आया-
“मैंने लगभग डेढ़ साल पहले घर वापसी कर ली थी क्योंकि मेरे जीवन में शायद ही कोई परिवर्तन आया था। अब मैं अपने धर्म में वापस आकर खुश हूं,” गौतम ने FPJ से कहा। उन्होंने दावा किया कि उनके बाद 45 लोग ईसाई धर्म में परिवर्तित हुए थे, और अब उनमें से 30 लोगों ने फिर से हिंदू धर्म अपना लिया है।
परिवर्तन के लिए किसी भी दबाव के बारे में पूछे जाने पर, गौतम ने कहा कि न तो उस समय कोई दबाव था जब वह ईसाई धर्म में परिवर्तित हुए थे और न ही अब, जब वह घर वापसी कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि चर्च उनकी जमीन पर बनाया गया था, इसलिए अब उन्होंने इसे भैरु जी के मंदिर में परिवर्तित करने का फैसला किया है, जिन्हें हिंदू धर्म में रक्षक के रूप में जाना जाता है।
तीन साल पहले बना था चर्च-
गौतम ने बताया कि तीन साल पहले, कुछ संगठनों द्वारा उनकी झोपड़ी के पास एक चर्च बनाने के लिए उन्हें बजट दिया गया था। उनके अनुसार, इस इमारत का अब नया उद्देश्य होगा – भैरव जी का मंदिर बनना, जिनकी पूजा इस क्षेत्र के लोग पारंपरिक रूप से करते आए हैं।
समुदाय की प्रतिक्रिया-
स्थानीय समुदाय में इस परिवर्तन को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे व्यक्तिगत विश्वास का मामला मानते हैं, जबकि अन्य इसे धार्मिक परिवर्तन के व्यापक मुद्दे से जोड़कर देख रहे हैं। एक स्थानीय निवासी रमेश मीणा ने कहा, “हर किसी को अपना धर्म चुनने का अधिकार है। गौतम भाई ने जो फैसला लिया है, वह उनका व्यक्तिगत निर्णय है। हमें इसका सम्मान करना चाहिए।”
वहीं, क्षेत्र के एक अन्य निवासी सुरेश पाटीदार का कहना है, “यह घटना दिखाती है कि लोग अपनी जड़ों से जुड़ना चाहते हैं। कई लोग विभिन्न प्रलोभनों के कारण धर्म परिवर्तित करते हैं, लेकिन अंततः उन्हें अपने मूल धर्म में ही शांति मिलती है।”
धर्म परिवर्तन का विवादित इतिहास-
राजस्थान सहित भारत के कई हिस्सों में धर्म परिवर्तन एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। कई राज्यों ने धर्म परिवर्तन विरोधी कानून पारित किए हैं, जिनका उद्देश्य जबरन या प्रलोभन के माध्यम से धर्म परिवर्तन को रोकना है।
इस मामले में, गौतम गरासिया का दावा है कि उनके धर्म परिवर्तन के दोनों फैसले – पहले ईसाई धर्म अपनाना और अब हिंदू धर्म में वापस लौटना – स्वैच्छिक थे। उन्होंने कहा, “मैंने अपने विवेक से ये फैसले लिए हैं। मुझे लगता है कि हर व्यक्ति को अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर चलने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।”
रविवार को होगा उद्घाटन-
अब, जैसे-जैसे रविवार का दिन नजदीक आ रहा है, गांव सोडलादुधा के लोग इस नए मंदिर के उद्घाटन के लिए तैयारियां कर रहे हैं। भगवा रंग में रंगी गई दीवारें और भैरव जी की मूर्ति की स्थापना के साथ, इस इमारत का नया अध्याय शुरू होने वाला है।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि उद्घाटन समारोह में आसपास के गांवों से भी लोग शामिल होंगे। गौतम ने बताया, “हम सभी एक साथ मिलकर इस अवसर को मनाएंगे। यह हमारे लिए एक नई शुरुआत है।” इस घटना ने एक बार फिर धर्म परिवर्तन, व्यक्तिगत विश्वास और समुदाय की पहचान जैसे मुद्दों पर चर्चा को जन्म दिया है। जैसे-जैसे समाज विकसित होता है, इन जटिल मुद्दों पर खुली और सम्मानजनक बातचीत की आवश्यकता बनी रहेगी।
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