Hybrid Car: आज के समय में जब पर्यावरण प्रदूषण और बढ़ती ईंधन कीमतें चिंता का विषय बन गई हैं, तब हाइब्रिड कारें भारतीय बाजार में अपनी जगह तेजी से बना रही हैं। ये वाहन न केवल कम प्रदूषण फैलाते हैं बल्कि लंबे समय में आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित होते हैं। हाइब्रिड तकनीक का उपयोग करके, ये कारें पारंपरिक पेट्रोल वाहनों की तुलना में 20-40% तक अधिक माइलेज दे सकती हैं।
लेकिन क्या होगा अगर आपकी हाइब्रिड कार का पेट्रोल खत्म हो जाए? क्या आप फिर भी अपनी यात्रा जारी रख पाएंगे? इस सवाल का जवाब बिल्कुल सीधा नहीं है और यह पूरी तरह से आपकी कार में इस्तेमाल की गई हाइब्रिड टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है।
Hybrid Car हाइब्रिड तकनीक के प्रकार-
हाइब्रिड कारों को मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है – माइल्ड हाइब्रिड, फुल हाइब्रिड और प्लग-इन हाइब्रिड। इन तीनों के बीच की मुख्य अंतर उनकी बैटरी क्षमता और इलेक्ट्रिक मोड में चलने की क्षमता है। आइए जानते हैं हर एक के बारे में विस्तार से।
Hybrid Car जब पेट्रोल खत्म होता है तो क्या होता है?
माइल्ड हाइब्रिड कारें भारतीय बाजार में सबसे आम हाइब्रिड वाहन हैं। मारुति सुजुकी की स्मार्ट हाइब्रिड वाहन इसी श्रेणी में आते हैं। इन कारों में एक छोटी बैटरी और इलेक्ट्रिक मोटर लगी होती है जो मुख्य रूप से पेट्रोल इंजन की सहायता करती है।
“माइल्ड हाइब्रिड तकनीक में इलेक्ट्रिक सिस्टम का मुख्य काम ईंधन की बचत करना है, न कि पूरी तरह से कार को चलाना,” ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट राजीव सिंह बताते हैं।
जब आप ब्रेक लगाते हैं तो रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के माध्यम से कार की बैटरी चार्ज होती है। यह बैटरी इंजन स्टार्ट-स्टॉप फीचर, एक्सेलरेशन बूस्ट और आइडल स्टॉप सिस्टम जैसे कामों के लिए उपयोग में आती है।
लेकिन अगर आपकी माइल्ड हाइब्रिड कार का पेट्रोल खत्म हो जाता है, तो आपका वाहन बिल्कुल भी आगे नहीं बढ़ेगा। क्योंकि इस तकनीक में इलेक्ट्रिक मोटर इतनी शक्तिशाली नहीं होती कि वह अकेले कार को चला सके।
“माइल्ड हाइब्रिड कारों में इलेक्ट्रिक मोटर एक सहायक की भूमिका निभाती है, मुख्य ड्राइविंग फोर्स पेट्रोल इंजन ही रहता है,” ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया के वरिष्ठ शोधकर्ता अनिल शर्मा कहते हैं।
Hybrid Car फुल हाइब्रिड कारें-
टोयोटा की पोपुलर कार प्रियस और कैमरी हाइब्रिड जैसे वाहन फुल हाइब्रिड तकनीक का उपयोग करते हैं। इन कारों में पेट्रोल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों पूरी क्षमता से काम करते हैं, जिससे वाहन की फ्यूल एफिशिएंसी काफी बढ़ जाती है।
फुल हाइब्रिड कारें कम गति पर (आमतौर पर 40-50 किमी/घंटा तक) पूरी तरह से इलेक्ट्रिक मोड में चल सकती हैं, लेकिन केवल सीमित दूरी (लगभग 2-3 किलोमीटर) तक। जैसे ही गति बढ़ती है या बैटरी का चार्ज कम होता है, पेट्रोल इंजन स्वचालित रूप से काम करना शुरू कर देता है।
“फुल हाइब्रिड में आप शहर के ट्रैफिक में थोड़ी दूर तक इलेक्ट्रिक मोड में चल सकते हैं, लेकिन सिस्टम ऑटोमैटिकली पेट्रोल इंजन को एक्टिवेट कर देता है जब अधिक पावर की जरूरत होती है,” टोयोटा के सीनियर टेक्निकल एडवाइजर विनय सक्सेना बताते हैं।
अगर आपकी फुल हाइब्रिड कार का पेट्रोल खत्म हो जाता है और बैटरी में पर्याप्त चार्ज है, तो आप कुछ किलोमीटर तक धीमी गति से यात्रा कर सकते हैं। लेकिन जैसे ही बैटरी डिस्चार्ज होगी, कार रुक जाएगी। बैटरी इतनी बड़ी नहीं होती कि वह लंबी दूरी तक कार को चला सके।
बेस्ट ऑफ बोथ वर्ल्ड्स-
प्लग-इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वेहिकल (PHEV) में काफी बड़ी बैटरी होती है जिसे घर के पावर सॉकेट या चार्जिंग स्टेशन से चार्ज किया जा सकता है। एमजी मोटर्स की हेक्टर प्लस प्लग-इन हाइब्रिड और टाटा नेक्सॉन ईवी प्लस जैसे वाहन इस श्रेणी में आते हैं।
प्लग-इन हाइब्रिड कारें पूरी तरह चार्ज होने पर 30-50 किलोमीटर तक इलेक्ट्रिक मोड में चल सकती हैं। इसके बाद वाहन ऑटोमैटिकली हाइब्रिड मोड में स्विच हो जाता है, जिसमें पेट्रोल इंजन और इलेक्ट्रिक मोटर दोनों काम करते हैं।
“प्लग-इन हाइब्रिड वाहन रोजमर्रा के शहरी इस्तेमाल के लिए बिल्कुल परफेक्ट हैं। अगर आप हर रोज 30-40 किलोमीटर से कम यात्रा करते हैं, तो आप पूरी तरह से इलेक्ट्रिक मोड में रह सकते हैं और पेट्रोल की एक बूंद भी इस्तेमाल नहीं करेंगे,” टाटा मोटर्स के प्रोडक्ट स्पेशलिस्ट रोहित गुप्ता कहते हैं।
अगर आपकी प्लग-इन हाइब्रिड कार का पेट्रोल खत्म हो जाता है और बैटरी पूरी तरह चार्ज है, तो आप 30-50 किलोमीटर तक पूरी तरह से इलेक्ट्रिक मोड में यात्रा कर सकते हैं। यह आपात स्थिति में पेट्रोल पंप तक पहुंचने के लिए पर्याप्त हो सकता है।
ड्राइवर्स के लिए महत्वपूर्ण सुझाव-
इस तकनीकी जानकारी के बावजूद, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हाइब्रिड कार के मालिकों को हमेशा अपने वाहन में पर्याप्त ईंधन रखना चाहिए। पेट्रोल ख़त्म होने पर निर्भर रहना एक अच्छी रणनीति नहीं है।
“हाइब्रिड कारों की बैटरी को लगातार डिस्चार्ज और पूरी तरह से खाली होने से बचाना चाहिए। इससे बैटरी की लाइफ कम हो सकती है और बदलने की लागत काफी ज्यादा होती है,” हंडई मोटर्स के सर्विस हेड प्रकाश मेहता की सलाह है।
उन्होंने यह भी बताया कि हाइब्रिड कारों में ईंधन खत्म होने के कारण इंजन बंद होने से इलेक्ट्रोनिक सिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए, कार के फ्यूल गेज को नियमित रूप से चेक करें और टैंक को कम से कम एक-चौथाई भरा रखें।
हाइब्रिड से इलेक्ट्रिक का सफर-
भारत में हाइब्रिड कारों का भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा है, विशेष रूप से जब तक इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पर्याप्त चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित नहीं हो जाता। अगले पांच वर्षों में भारतीय बाजार में हाइब्रिड वाहनों की हिस्सेदारी 15-20% तक पहुंचने की उम्मीद है।
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“हाइब्रिड वाहन वर्तमान में भारत के लिए एक आदर्श समाधान हैं। वे उपभोक्ताओं को एक क्लीनर ऑप्शन प्रदान करते हैं, बिना चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की चिंता किए,” सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के महानिदेशक राजेश मेनन का कहना है।
हाइब्रिड कारें वाकई में पारंपरिक कारों और पूर्ण इलेक्ट्रिक वाहनों के बीच एक सेतु का काम करती हैं। वे पेट्रोल इंजन की विश्वसनीयता और इलेक्ट्रिक मोटर की क्लीन एनर्जी का सर्वोत्तम संयोजन प्रदान करती हैं। लेकिन याद रखें, अंततः वे अभी भी पेट्रोल पर निर्भर हैं, इसलिए सावधानीपूर्वक ड्राइविंग और नियमित फ्यूल चेक महत्वपूर्ण है।
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