Bank Strike 2025: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में एक बड़ा झटका देते हुए, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने 24 और 25 मार्च को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) के साथ बातचीत विफल होने के बाद यह फैसला लिया गया है। यह हड़ताल सार्वजनिक, निजी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित सभी बैंकिंग सेवाओं को प्रभावित करेगी, जिससे ग्राहकों को चार दिनों तक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
हड़ताल सोमवार, 24 मार्च और मंगलवार, 25 मार्च को होगी। चूंकि 22 मार्च चौथा शनिवार है और 23 मार्च रविवार है, इसलिए बैंकिंग सेवाएं लगातार चार दिनों तक अनुपलब्ध रह सकती हैं। यह स्थिति ग्राहकों के लिए विशेष चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि अब उन्हें अपने वित्तीय लेनदेन की पहले से योजना बनानी होगी।
Bank Strike 2025 कौन-कौन सी बैंकिंग सेवाएं होंगी प्रभावित?
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (AIBOC) के उपाध्यक्ष पंकज कपूर के अनुसार, “क्लियरिंग हाउस, नकद लेनदेन, रेमिटेंस और अग्रिम जैसी बैंकिंग सेवाएं 22 मार्च से शुरू होकर चार दिनों तक प्रभावित रहेंगी।” हालांकि, एटीएम और ऑनलाइन बैंकिंग लेनदेन उपलब्ध रहेंगे, लेकिन बड़े या समय पर निर्भर लेनदेन में देरी की संभावना है। विशेषज्ञों ने ग्राहकों को सलाह दी है कि वे अपनी बैंकिंग गतिविधियों की अच्छी तरह से प्लानिंग करें ताकि इन चार दिनों में किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।
Bank Strike 2025 यूनियनों की मांगें क्या हैं?
UFBU सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी बैंकों, विदेशी बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के आठ लाख से अधिक कर्मचारियों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (AIBEA), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (AIBOC), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ बैंक एम्प्लॉइज (NCBE), और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA) जैसे संगठन शामिल हैं।
यूनियनों की प्रमुख मांगों में शामिल हैं:-
- सभी स्तरों पर पर्याप्त भर्तियां ताकि बैंकों में कर्मचारियों की कमी न हो
- अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करना
- पांच दिवसीय कार्यसप्ताह का कार्यान्वयन
- परफॉर्मेंस रिव्यू सिस्टम को वापस लेना
- बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए बेहतर सुरक्षा उपाय
- ग्रेच्युइटी एक्ट में संशोधन करके सीलिंग को बढ़ाकर ₹25 लाख करना
हड़ताल का बैंकिंग सेक्टर पर क्या असर पड़ेगा?
यह हड़ताल देश भर के बैंकिंग सेक्टर को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगी। विशेष रूप से महीने के अंत में होने वाली यह हड़ताल वेतन भुगतान, पेंशन वितरण और कई अन्य महत्वपूर्ण वित्तीय लेनदेन में बाधा डाल सकती है।वित्तीय विशेषज्ञ संजय कुमार का कहना है, “मार्च के अंत में यह हड़ताल वित्तीय वर्ष के समापन के समय आ रही है, जिससे कंपनियों और व्यवसायों को अपने वित्तीय लेनदेन के संबंध में अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। यह हड़ताल न केवल बैंकिंग सेक्टर बल्कि अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित कर सकती है।”
ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
वित्तीय विशेषज्ञों ने ग्राहकों को सलाह दी है कि वे अपने जरूरी बैंकिंग कार्यों को 21 मार्च तक पूरा कर लें। साथ ही, इन चार दिनों के लिए पर्याप्त नकदी की व्यवस्था करें और ऑनलाइन बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करें। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के एक अधिकारी ने बताया, “UPI और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन सामान्य रूप से चालू रहेंगे, लेकिन बैंक खातों से जुड़े कुछ खास लेनदेन में देरी हो सकती है। ग्राहकों को सलाह है कि वे अपने महत्वपूर्ण भुगतान पहले से ही कर लें।”
बैंक और सरकार का रुख-
बैंकिंग सेक्टर के सूत्रों के अनुसार, IBA यूनियनों की मांगों पर विचार कर रहा है, लेकिन कुछ मांगें जैसे पांच दिवसीय कार्यसप्ताह और ग्रेच्युइटी सीलिंग में वृद्धि पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “सरकार बैंक यूनियनों और IBA के बीच संवाद को बढ़ावा दे रही है। हमारी कोशिश है कि हड़ताल के प्रभाव को कम किया जाए और ग्राहकों को कम से कम असुविधा हो।”
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हड़ताल का इतिहास-
बैंकिंग सेक्टर में हड़तालें कोई नई बात नहीं हैं। पिछले कुछ वर्षों में भी बैंक कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर कई बार हड़ताल की है। पिछली बार दिसंबर 2024 में बैंक यूनियनों ने वेतन संशोधन की मांग को लेकर हड़ताल की थी, जिससे बैंकिंग सेवाएं दो दिनों तक बाधित रही थीं।
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम के अनुसार, “हम बातचीत के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालना चाहते हैं, लेकिन जब हमारी आवाज नहीं सुनी जाती, तो हड़ताल हमारा आखिरी विकल्प होता है।” इस हड़ताल से बैंकिंग सेक्टर में होने वाले बदलावों और कर्मचारियों की मांगों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और IBA इन मांगों पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और क्या हड़ताल के पहले कोई समझौता हो पाता है।
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