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Dastak India > Home > एजुकेशन > प्राइवेट स्कूलों पर दिल्ली सरकार का बड़ा कदम, यूनिफ़ॉर्म से लेकर किताबों पर ये नए नियम किए लागू
एजुकेशन

प्राइवेट स्कूलों पर दिल्ली सरकार का बड़ा कदम, यूनिफ़ॉर्म से लेकर किताबों पर ये नए नियम किए लागू

Dastak Web Team
Last updated: March 27, 2025 4:28 pm
Dastak Web Team
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Delhi Education Reforms
Photo Source - Google
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Delhi Education Reforms: दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव आने वाला है। दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की लगातार बढ़ती मनमानी पर अंकुश लगाने का निर्णय लिया है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद द्वारा जारी नए दिशानिर्देश अभिभावकों और छात्रों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आए हैं, जो इस समय शैक्षणिक संस्थानों में बढ़ते आर्थिक दबाव से परेशान थे।

Contents
Delhi Education Reforms समस्या की जड़ें-Delhi Education Reforms सरकारी हस्तक्षेप-Delhi Education Reforms पारदर्शिता का नया मानक-अभिभावकों के लिए बड़ी राहत-कानूनी कार्रवाई का डर-अभिभावकों के लिए हेल्पलाइन-उम्मीदें-

Delhi Education Reforms समस्या की जड़ें-

पिछले कई वर्षों से दिल्ली के प्राइवेट स्कूल अपनी मनमानी के लिए कुख्यात रहे हैं। अभिभावक लगातार उन स्कूलों द्वारा थोपे जाने वाले अनावश्यक खर्चों से परेशान थे। कई स्कूल अपने निजी स्वार्थ के लिए छात्रों और उनके परिवारों पर असहनीय दबाव बनाते आ रहे थे। वे छात्रों को केवल विशेष वेंडरों से किताबें, नोटबुक, गाइड, बैग, टाई, बेल्ट और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए मजबूर करते थे, जिससे अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता था।

Delhi Education Reforms सरकारी हस्तक्षेप-

दिल्ली सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है। नए दिशानिर्देशों में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि स्कूल अब छात्रों या उनके अभिभावकों पर किसी भी प्रकार का अनुचित दबाव नहीं डाल सकते। स्कूलों को अपनी वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर पाठ्यक्रम में शामिल किताबों की पूरी सूची प्रकाशित करनी होगी। इसके अलावा, उन्हें कम से कम पांच ऐसी दुकानों के नाम और पते बताने होंगे, जहां से किताबें और यूनिफॉर्म आसानी से उपलब्ध हों।

Delhi Education Reforms पारदर्शिता का नया मानक-

शिक्षा मंत्री आशीष सूद का स्पष्ट कहना है कि “हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षा सभी के लिए किफायती और पारदर्शी हो। स्कूलों की मनमानी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” इस नए नियम के तहत, स्कूल केवल CBSE या संबंधित बोर्ड के पाठ्यक्रम के अनुरूप किताबें ही सुझा सकते हैं। पाठ्यक्रम से इतर किसी किताब को खरीदने का दबाव नहीं डाला जा सकता।

अभिभावकों के लिए बड़ी राहत-

नए नियमों में कई ऐसे प्रावधान हैं जो अभिभावकों को राहत देंगे। अगले तीन साल तक स्कूल यूनिफॉर्म के रंग या डिजाइन में कोई बदलाव नहीं कर सकेंगे। साथ ही, अगले शैक्षणिक सत्र के लिए यदि कोई नई किताब अनुशंसित की जा रही है, तो इसकी जानकारी पहले से ही अभिभावकों को दी जानी होगी।

कानूनी कार्रवाई का डर-

दिल्ली सरकार ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि इन दिशानिर्देशों का पालन न करने वाले स्कूलों के खिलाف दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। नियमों के उल्लंघन की स्थिति में स्कूल प्रबंधन को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

अभिभावकों के लिए हेल्पलाइन-

सरकार ने अभिभावकों को प्रोत्साहित किया है कि वे किसी भी नियम उल्लंघन की शिकायत तुरंत दर्ज करें। इसके लिए एक विशेष ईमेल पता (ddeact1@gmail.com) और हेल्पलाइन नंबर (9818154069) जारी किया गया है। शिक्षा निदेशालय ने आश्वासन दिया है कि हर शिकायत पर त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी।

ये भी पढ़ें- 10वीं पास के लिए सरकारी नौकरी का सुनहरा मौका, 53,749 पदों पर निकली भर्ती, यहां जानें डिटेल्स

उम्मीदें-

यह नया कदम न केवल दिल्ली में, बल्कि पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव ला सकता है। यह न केवल अभिभावकों को आर्थिक राहत देगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता में भी सुधार लाएगा। स्कूलों को अब अपनी वास्तविक जिम्मेदारी – शिक्षा प्रदान करने – पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

दिल्ली सरकार का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। यह न केवल स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाएगा, बल्कि शिक्षा को अधिक समावेशी और न्यायसंगत बनाने में मदद करेगा। अभिभावक और छात्र अब अधिक आश्वस्त महसूस कर सकते हैं कि उनके हितों की रक्षा की जाएगी।

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