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Dastak India > Home > देश > 944 करोड़ के टैक्स जाल में फंसी इंडिगो! क्या भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन का संचालन हो जाएगा बंद?
देश

944 करोड़ के टैक्स जाल में फंसी इंडिगो! क्या भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन का संचालन हो जाएगा बंद?

Dastak Web Team
Last updated: March 30, 2025 8:59 pm
Dastak Web Team
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Indigo
Photo Source - Google
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Indigo: इंटरग्लोब एविएशन, इंडिगो एयरलाइन की पैरेंट कंपनी, को आयकर विभाग ने असेसमेंट वर्ष 2021-22 के लिए 944.20 करोड़ रुपये का पेनल्टी आदेश जारी किया है। हालांकि, एयरलाइन ने इस आदेश को “गलत और बेतुका” बताते हुए इसे खारिज कर दिया है और कानूनी तरीकों से इसे चुनौती देने का वादा किया है।

Contents
Indigo ने दिया टैक्स आदेश को चुनौती देने का आश्वासन-Indigo पाइपलाइन में कानूनी कार्रवाई-Indigo संचालन पर तत्काल प्रभाव नहीं-Indigo पृष्ठभूमि और उद्योग पर प्रभाव-इंडिगो का वित्तीय प्रदर्शन और बाजार स्थिति-टैक्स विवादों का इतिहास-विश्लेषकों की प्रतिक्रिया-यात्रियों और शेयरधारकों पर प्रभाव-कानूनी उपाय-

Indigo ने दिया टैक्स आदेश को चुनौती देने का आश्वासन-

शनिवार, 24 अगस्त को पेनल्टी आदेश मिला था और इंडिगो ने रविवार को एक नियामक फाइलिंग में इस घटनाक्रम का खुलासा किया। एयरलाइन के अनुसार, आयकर प्राधिकरण की असेसमेंट यूनिट ने आयकर अधिनियम की धारा 143(3) के तहत यह आदेश पारित किया है, जो स्क्रूटिनी असेसमेंट से संबंधित है। हालांकि, इंडिगो का मानना है कि यह आदेश एक गलतफहमी पर आधारित है।

“यह आदेश इस गलत समझ के आधार पर पारित किया गया है कि कंपनी द्वारा धारा 143(3) के तहत असेसमेंट आदेश के खिलाफ आयकर आयुक्त (अपील) (CIT(A)) के समक्ष दायर की गई अपील को खारिज कर दिया गया है, जबकि यह अभी भी जिंदा है और न्यायिक निर्णय के लिए लंबित है,” इंडिगो ने अपनी फाइलिंग में कहा।

Indigo पाइपलाइन में कानूनी कार्रवाई-

इंडिगो ने दोहराया है कि वह इस आदेश को चुनौती देगी और सभी उपलब्ध कानूनी उपायों का सहारा लेगी। “कंपनी का दृढ़ विश्वास है कि आयकर प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश कानून के अनुसार नहीं है और गलत तथा बेतुका है। कंपनी इसका विरोध करेगी और आदेश के खिलाफ उचित कानूनी उपाय करेगी,” एयरलाइन ने रविवार शाम को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा।

Indigo संचालन पर तत्काल प्रभाव नहीं-

महत्वपूर्ण पेनल्टी राशि के बावजूद, इंडिगो ने हितधारकों को आश्वासन दिया है कि यह आदेश उसके व्यवसाय के लिए तत्काल खतरा नहीं है। एयरलाइन ने कहा, “इस आदेश का कंपनी के वित्त, संचालन या अन्य गतिविधियों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा।

Indigo पृष्ठभूमि और उद्योग पर प्रभाव-

मार्केट शेयर के हिसाब से भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो, एविएशन सेक्टर में एक प्रमुख शक्ति रही है। हालांकि, कराधान और अनुपालन मुद्दे अक्सर एयरलाइंस को जांच के दायरे में लाते रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के टैक्स विवाद उद्योग में असामान्य नहीं हैं, और कंपनियां अक्सर अपीलीय तंत्र के माध्यम से इन असेसमेंट को चुनौती देती हैं।

वित्तीय विश्लेषकों का सुझाव है कि जबकि पेनल्टी काफी बड़ी है, इंडिगो का मजबूत बैलेंस शीट किसी भी तत्काल वित्तीय दबाव को कम कर सकता है। “इंडिगो एक मजबूत वित्तीय स्थिति में है, और जबकि यह एक बड़ी राशि है, कंपनी का आदेश को चुनौती देने का निर्णय ऐसे मामलों में एक मानक प्रतिक्रिया है,” एक वरिष्ठ टैक्स सलाहकार ने कहा।

इंडिगो का वित्तीय प्रदर्शन और बाजार स्थिति-

पिछले कुछ वर्षों में इंडिगो ने अपने वित्तीय प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के बाद यात्री यातायात में पुनरुद्धार के साथ। उड़ान भरने वाले यात्रियों की संख्या में वृद्धि और परिचालन क्षमता में विस्तार ने कंपनी को मजबूत राजस्व वृद्धि दर्ज करने में मदद की है।

भारतीय एविएशन मार्केट में इंडिगो की हिस्सेदारी लगभग 60% है, जो इसे सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली वाहक बनाता है। कंपनी की सफलता का श्रेय इसके किफायती व्यापार मॉडल, समय पर प्रदर्शन और विस्तारित नेटवर्क को दिया जाता है, जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों मार्गों को कवर करता है।

टैक्स विवादों का इतिहास-

यह पहली बार नहीं है जब इंडिगो आयकर विभाग के साथ विवाद में फंसी है। कंपनी पहले भी विभिन्न कर मुद्दों पर आयकर विभाग के साथ लंबी कानूनी लड़ाई लड़ चुकी है, जिनमें से कई अपीलीय प्रक्रिया के माध्यम से हल किए गए हैं।

टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि एविएशन सेक्टर में कंपनियों के लिए टैक्स कंप्लायंस जटिल हो सकता है, विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय संचालन और विभिन्न न्यायिक क्षेत्रों में समझौते वाली कंपनियों के लिए। नियामक परिदृश्य और कर कानूनों की व्याख्या अक्सर विभिन्न हितधारकों के बीच विवाद का विषय होती है।

विश्लेषकों की प्रतिक्रिया-

वित्तीय विश्लेषकों ने इस घटनाक्रम पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं। कुछ का मानना है कि कंपनी के पास अपील की एक मजबूत स्थिति हो सकती है, विशेष रूप से अगर उनका दावा सही है कि मूल अपील अभी भी लंबित है। दूसरों ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक चलने वाले कर विवाद कंपनी के संसाधनों और प्रबंधन के ध्यान को डाइवर्ट कर सकते हैं।

“कर विवाद कॉरपोरेट भारत का एक आम हिस्सा हैं, और अक्सर वे अंततः कम किए गए दायित्व या पूरी तरह से खारिज किए जाने के साथ समाप्त होते हैं,” एक अन्य टैक्स विशेषज्ञ ने गुमनाम रहने की शर्त पर कहा। “इंडिगो के मामले में, उनके द्वारा उठाया गया प्रक्रियात्मक मुद्दा महत्वपूर्ण है और अगर सही साबित होता है, तो यह आदेश को पूरी तरह से अमान्य कर सकता है।”

यात्रियों और शेयरधारकों पर प्रभाव-

इंडिगो ने जोर देकर कहा है कि उसके दैनिक संचालन पर इस टैक्स विवाद का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, और यात्री सेवाएं निर्बाध रूप से जारी रहेंगी। शेयरधारकों के लिए, हालांकि, यह स्थिति सावधानी से निगरानी करने वाली है, क्योंकि स्टॉक मूल्य अस्थिरता का अनुभव कर सकता है जब तक कि इस मामले का अंतिम समाधान नहीं हो जाता। कई मार्केट एनालिस्ट ने निवेशकों को धैर्य रखने की सलाह दी है, यह दर्शाते हुए कि इस तरह के कर विवादों को सुलझाने में अक्सर कई साल लग सकते हैं और बड़ी कॉरपोरेट इकाइयों के लिए यह अपेक्षाकृत सामान्य है।

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कानूनी उपाय-

आगे बढ़ते हुए, इंडिगो ने इंगित किया है कि वह सभी उपलब्ध कानूनी उपायों का उपयोग करेगी, संभवतः आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) और उच्च न्यायालय सहित विभिन्न अपीलीय मंचों पर मामले को ले जाएगी। उद्योग पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि कंपनी इस बीच एक वित्तीय प्रावधान बना सकती है, जबकि वह कानूनी मोर्चे पर अपने दावे के साथ आगे बढ़ती है। यह रणनीति निवेशकों और नियामकों को आश्वस्त करने के लिए वित्तीय विवेक का प्रदर्शन करेगी, जबकि इस इश्यू पर अपनी स्थिति को मजबूत करेगी।

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