भारत का इतिहास जितना समृद्ध है, उतना ही रहस्यमय भी। गुजरात के भावनगर जिले में स्थित लोथल एक ऐसी ही ऐतिहासिक जगह है, जो सिंधु घाटी सभ्यता का अहम हिस्सा रही है। लोथल न सिर्फ एक प्राचीन नगर था, बल्कि इसे दुनिया के सबसे पुराने बंदरगाहों में से एक माना जाता है। इसकी अद्भुत जल निकासी प्रणाली, ईंटों से बने गोदाम, और सटीक नगर योजना आज भी शोधकर्ताओं और पर्यटकों को चकित कर देते हैं।
इतिहास की परतों में छिपा बंदरगाह
लोथल की खोज 1954-57 के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की गई थी। खुदाई के दौरान यहाँ ऐसी संरचनाएं मिलीं, जो यह दर्शाती हैं कि यह जगह व्यापार के लिए समुद्री मार्ग से जुड़ी हुई थी। लोथल का बंदरगाह उन दिनों अरब सागर से जुड़ा हुआ था, जहां से व्यापारी मेसोपोटामिया, मिस्र और ओमान जैसे देशों से व्यापार करते थे।
रहस्यमय अवशेष और वैज्ञानिक चौंक
- यहाँ पर बना डॉकयार्ड (गोदी) आज भी आश्चर्य का विषय है। इसकी बनावट और इंजीनियरिंग इतनी उन्नत थी कि वैज्ञानिकों को विश्वास करना कठिन होता है कि यह लगभग 4,000 साल पहले बना होगा।
- इस क्षेत्र में बनी जल निकासी प्रणाली इतनी आधुनिक है कि आज के नगरों में भी इसकी मिसाल मुश्किल से मिलती है।
- खुदाई में स्नानागार, मंदिर, और मापक यंत्र भी मिले हैं, जो उस समय की वैज्ञानिक सोच को दर्शाते हैं।
समुद्र के नीचे छिपे तथ्य
कहा जाता है कि लोथल के आसपास आज भी समुद्र के नीचे ऐसे कई प्राचीन अवशेष छिपे हुए हैं, जिनकी खोज अभी तक पूरी नहीं हुई है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ने के कारण प्राचीन लोथल का एक बड़ा हिस्सा डूब गया।
यह भी कयास लगाए जाते हैं कि समुद्र के नीचे छिपी हुई ये संरचनाएं मानव इतिहास के कई अनसुलझे रहस्यों को उजागर कर सकती हैं।
आज का लोथल
आज लोथल एक राष्ट्रीय धरोहर स्थल है और यहाँ एक संग्रहालय भी है जिसमें खुदाई से मिले बर्तन, आभूषण, उपकरण और अन्य वस्तुएं प्रदर्शित हैं। सरकार अब लोथल को एक हेरिटेज टूरिज्म के केंद्र के रूप में विकसित कर रही है। ‘राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय’ (National Maritime Heritage Museum) की योजना भी यहीं बनाई गई है।