कहते हैं आपने बनारस नहीं देखा तो क्या देखा। और बनारस आकर अगर गंगा आरती नहीं देखी तो कुछ देखा ही नहीं। काशी विश्वनाथ की इस नगरी की गंगा आरती की भव्यता की बात ही कुछ और है। बनारस के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का मनोरम दृश्य हर किसी को अपनी ओर खींचता है। इस घाट पर सन् 97 से ही रोजाना गंगा आरती हो रही है जिसे देखने के लिए देश-विदेश से रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं।
दशाश्वमेध घाट के अलावा अब वाराणसी के अस्सी घाट, सामने घाट, तुलसी घाट, केदारघाट, अहलियाबाई घाट, ललिता घाट, रविदास घाट पर नित्य शाम गंगा आरती होती है।
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कहते हैं आपने बनारस नहीं देखा तो क्या देखा। और बनारस आकर अगर गंगा आरती नहीं देखी तो कुछ देखा ही नहीं। काशी विश्वनाथ की इस नगरी की गंगा आरती की भव्यता की बात ही कुछ और है। बनारस के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का मनोरम दृश्य हर किसी को अपनी ओर खींचता है। इस घाट पर सन् 97 से ही रोजाना गंगा आरती हो रही है जिसे देखने के लिए देश-विदेश से रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं।दशाश्वमेध घाट के अलावा अब वाराणसी के अस्सी घाट, सामने घाट, तुलसी घाट, केदारघाट, अहलियाबाई घाट, ललिता घाट, रविदास घाट पर नित्य शाम गंगा आरती होती है।शाम को होने वाली गंगा आरती के तत्पश्चात फूलों की एक छोटी सी कटोरी में दिया जलाकर गंगा मैया में प्रवाहित करने की परंपरा भी है। घाट पर मौजूद छोटे छोटे विक्रेता आपको कटोरी में फूल सजा कर घाट पर बेचते हुए मिल जाएंगे। फूलों के बीच जलते दियों को गंगा में प्रवाहित कर लोग अपनी मनोकामनाएं गंगा मां से मांगते हैं। इसके ठीक बाद लोग नौका में सफर का भी आनंद लेते देखे जा सकते हैं।