अजय चौधरी
कैराना में हिंदू पलायन कोई चुनावी मुद्दा नहीं है। बल्कि क्षेत्र में फैली बेरोजगारी ही प्रमुख चुनावी मुद्दा है। बीते साल भाजपा के स्थानीय सांसद बाबु हुकम सिंह ने कैराना में हिंदू पलायन का दावा किया था। उनके अनुसार 346 परिवार कैराना से पलायन कर गए हैं। हुकम सिंह ने इसकी बकायदा एक लिस्ट भी जारी की थी।
कैराना के स्थानीय निवासीयों की मानें तो गांवों और कस्बों से शहरों की ओर पलायन तो पहले से ही होते आए हैं। कैराना में अपनी साईकिल की दुकान चलाने वाले राजीव मलिक ने कहा कि जिस जगह मूलभूत सुविधाओँ की कमी होगी वहां कौन रहना चाहेगा। जहां न बिजली न सडक न बच्चों को पढाई। राजीव की तरह ओरों का भी कुछ ऐसा ही मानना था।
वहीं हाजी मोहम्मद ने बताया कि मुज्जफरनगर दंगों के बाद से कैराना से हिंदू परिवारों का पलायन जरुर हुआ है। जिसका कारण यहां मुस्लिम बहुलता का होना है। मगर मुज्जफरनगर और शामली से भी हिंदू बहुल इलाकों के मुस्लिम कैराना में आकर बसे हैं। विशाल गर्ग के अनुसार यहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं और वे आपराधिक तत्वों के कारण यहां खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं और सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं।
इस सीट पर भाजपा का परिवारवाद साफ दिख रहा है। भाजपा ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को इस सीट से टिकट दे हुकम सिंह को कैराना का मुद्दा उठाने का ईनाम दिया है। वहीं सपा ने यहां से पूर्व सांसद मुनव्वर हसन के बेटे नाहिद हसन को टिकट दिया है। कैराना में मतदान 11 फरवरी को होना है।
वैसे तो हुकुम सिंह कैराना से सात बार विधायक रह चुके हैं। मगर इस बार राष्ट्रीय लोकदल से अनिल चौहान के आ जाने से उनकी बेटी मृगांका के लिए इस सीट से जीतना मुश्किल हो गया है। वहीं नाहिद का हसन का भी मुस्लिम वोटों पर अच्छा खासा प्रभाव है। वहीं अनिल चौहान जोकि हुकम सिंह के रिश्तेदार हैं जो अबतक भाजपा में ही थे। मगर हुकम सिंह की बेटी को टिकट मिल जाने के बाद उन्होंने रालदो को दामन थाम लिया और रालदो ने भी चौहान को अपना प्रतियाशी घोषित कर दिया। जिस कारण भाजपा अब रेस से बाहर होती नजर आ रही है।