गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को निधन हो गया। 63 वर्ष के पर्रिकर पिछले एक साल से अग्नाशय कैंसर यानी पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ये पैंक्रियाटिक कैंसर क्या है? जानिए इसके लक्षण एवं बचाव के उपाय।
क्या पैंक्रियाज (अग्न्याशय) का कैंसर
पैंक्रियाटिक कैंसर बहुत ही गंभीर बीमारी है। यह कैंसर का ही एक प्रकार है। अग्नाशय में कैंसरयुक्त कोशिकाओं से इसकी शुरूआत होती है। यह 60 वर्ष से आधिक उम्र वालों लोगों में पाया जाता है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक पाया जाता है। महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा धूम्रपान करते हैं। धूम्रपान करने वालों में अग्नाशय कैंसर के होने का खतरा दो से तीन गुने तक बढ़ जाता है। पैंक्रियाटिक कैंसर के होने की औसतन उम्र 72 साल है। रेड मीट और चर्बीयुक्त आहार से इसका खतरा बढ़ जाता है।
लक्षण
पैनक्रीएटिक कैंसर को मूक कैंसर भी कहा जाता है। इसके लक्षण छिपे होते हैं। पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण बहुत आसानी से नजर नहीं आते हैं। फिर भी कुछ लक्षण हैं।
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भूख न लगना
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जी मिलचाना
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कमजोरी महसूस होना
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वजन घटना
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स्किन, आंख और यूरिन का रंग पीला हो जाना
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पेट के ऊपरी भाग में दर्द रहना
पैनक्रीएटिक कैंसर होने के कारण
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अधिक धूम्रपान करने से अग्नाशय कैंसर का खतरा बना रहता है।
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ज्यादा मोटापा भी पैनक्रीएटिक कैंसर का कारण हो सकता है।
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रेड मीट और चर्बी युक्त भोजन का सेवन करने से पैनक्रीएटिक कैंसर होने का खतरा रहता है।
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पैनक्रीएटिक कैंसर आनुवांशिक भी हो सकता है।
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गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को निधन हो गया। 63 वर्ष के पर्रिकर पिछले एक साल से अग्नाशय कैंसर यानी पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ये पैंक्रियाटिक कैंसर क्या है? जानिए इसके लक्षण एवं बचाव के उपाय।क्या पैंक्रियाज (अग्न्याशय) का कैंसरपैंक्रियाटिक कैंसर बहुत ही गंभीर बीमारी है। यह कैंसर का ही एक प्रकार है। अग्नाशय में कैंसरयुक्त कोशिकाओं से इसकी शुरूआत होती है। यह 60 वर्ष से आधिक उम्र वालों लोगों में पाया जाता है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक पाया जाता है। महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा धूम्रपान करते हैं। धूम्रपान करने वालों में अग्नाशय कैंसर के होने का खतरा दो से तीन गुने तक बढ़ जाता है। पैंक्रियाटिक कैंसर के होने की औसतन उम्र 72 साल है। रेड मीट और चर्बीयुक्त आहार से इसका खतरा बढ़ जाता है।लक्षणपैनक्रीएटिक कैंसर को मूक कैंसर भी कहा जाता है। इसके लक्षण छिपे होते हैं। पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण बहुत आसानी से नजर नहीं आते हैं। फिर भी कुछ लक्षण हैं।भूख न लगनाजी मिलचानाकमजोरी महसूस होनावजन घटनास्किन, आंख और यूरिन का रंग पीला हो जानापेट के ऊपरी भाग में दर्द रहनापैनक्रीएटिक कैंसर होने के कारण अधिक धूम्रपान करने से अग्नाशय कैंसर का खतरा बना रहता है।ज्यादा मोटापा भी पैनक्रीएटिक कैंसर का कारण हो सकता है।रेड मीट और चर्बी युक्त भोजन का सेवन करने से पैनक्रीएटिक कैंसर होने का खतरा रहता है।पैनक्रीएटिक कैंसर आनुवांशिक भी हो सकता है।बचाव और आहारअगर आप रेगुलर हेल्थ चेकअप कराते हैं तो इससे बच सकते हैं। इसके लिए मॉडर्न मेडिकल साइंस कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के द्वारा इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है, लेकिन कुछ पदार्थों के सेवन करने से इससे बचा जा सकता है।इस बीमारी से बचने के लिए व्यक्ति को ताजे फलों का रस और हरी सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। ऐसा करने से अग्नाशय कैंसर से लड़ने में लाभ मिलता है।इस बीमारी से बचे रहना चाहते हैं तो अपने आहार में कम से कम मात्रा में रेड मीट और वसा वाले आहार को शामिल करें।पैंक्रिएटिक कैंसर के उपचार में ब्रोकर्ली को एक अच्छा विकल्प माना जाता है। ब्रोकली में मौजूद फाइटोकेमिकल्स से, कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने में मदद मिलती है। ब्रोकली एंटी ऑक्सीडेंट होने के साथ खून को साफ रखने में भी मदद करती है।ग्रीन टी, लहसुन, सोयाबीन और एलोवेरा का भी सेवन करने से इस बीमारी में काफी फायदा होता है।
बचाव और आहार
अगर आप रेगुलर हेल्थ चेकअप कराते हैं तो इससे बच सकते हैं। इसके लिए मॉडर्न मेडिकल साइंस कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के द्वारा इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है, लेकिन कुछ पदार्थों के सेवन करने से इससे बचा जा सकता है।
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इस बीमारी से बचने के लिए व्यक्ति को ताजे फलों का रस और हरी सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। ऐसा करने से अग्नाशय कैंसर से लड़ने में लाभ मिलता है।
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इस बीमारी से बचे रहना चाहते हैं तो अपने आहार में कम से कम मात्रा में रेड मीट और वसा वाले आहार को शामिल करें।
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पैंक्रिएटिक कैंसर के उपचार में ब्रोकर्ली को एक अच्छा विकल्प माना जाता है। ब्रोकली में मौजूद फाइटोकेमिकल्स से, कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने में मदद मिलती है। ब्रोकली एंटी ऑक्सीडेंट होने के साथ खून को साफ रखने में भी मदद करती है।
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ग्रीन टी, लहसुन, सोयाबीन और एलोवेरा का भी सेवन करने से इस बीमारी में काफी फायदा होता है।