भारत अंतरिक्ष में चलाए गए ऑपरेशन ‘मिशन शक्ति’ की सफलता से देश को काफी गर्व महसूस हो रहा है। इसी पर DRDO के चेयरमैन जी. एस. रेड्डी का कहना है कि ये मिशन इतना भी आसान नहीं रहा। इसके लिए वे पिछले दो साल से प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया था जबकि पिछले 6 महीने से मिशन मोड में काम चल रहा था।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि 6 महीने से करीब 100 से अधिक वैज्ञानिक लगातार इस पर काम रहे थे और लॉन्च की ओर आगे बढ़ रहे थे। जी. एस. रेड्डी के मुताबिक, वह लगातार इस प्रोजेक्ट पर काम कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल को रिपोर्ट कर रहे थे। अजित डोभाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके बारे में पूरी जानकारी दे रहे थे।
उन्होंने बताया कि हमने अपने टारगेट को ‘काइनेटिक किल’ यानी सीधा सैटेलाइट को ही हिट किया था। जी. एस. रेड्डी ने बताया कि इसके लिए कई टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल किया गया और सभी भारत में ही डेवलेप हुई थीं, जो पूरी तरह सफल साबित हुआ।
#WATCH DRDO Chairman G Sateesh Reddy ANI, “This missile has been developed specifically as an anti-satellite weapon. The missile has technologies developed for ballistic missile defense applications, particularly the kill vehicle. It is not a derivative of the Prithvi missile.” pic.twitter.com/1w126oT4xC
भारत अंतरिक्ष में चलाए गए ऑपरेशन ‘मिशन शक्ति’ की सफलता से देश को काफी गर्व महसूस हो रहा है। इसी पर DRDO के चेयरमैन जी. एस. रेड्डी का कहना है कि ये मिशन इतना भी आसान नहीं रहा। इसके लिए वे पिछले दो साल से प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया था जबकि पिछले 6 महीने से मिशन मोड में काम चल रहा था।न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि 6 महीने से करीब 100 से अधिक वैज्ञानिक लगातार इस पर काम रहे थे और लॉन्च की ओर आगे बढ़ रहे थे। जी. एस. रेड्डी के मुताबिक, वह लगातार इस प्रोजेक्ट पर काम कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल को रिपोर्ट कर रहे थे। अजित डोभाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके बारे में पूरी जानकारी दे रहे थे।उन्होंने बताया कि हमने अपने टारगेट को ‘काइनेटिक किल’ यानी सीधा सैटेलाइट को ही हिट किया था। जी. एस. रेड्डी ने बताया कि इसके लिए कई टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल किया गया और सभी भारत में ही डेवलेप हुई थीं, जो पूरी तरह सफल साबित हुआ।रेड्डी ने A-SAT मिसाइल के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि ये मिसाइल लो अर्थ ऑर्बिट यानी LEO सैटेलाइट को टारगेट बनाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि हमारे पास इससे बड़े लक्ष्य को हासिल करने की भी ताकत है, लेकिन हमने पहले LEO को टारगेट बनाने की ठानी क्योंकि हम किसी भी अन्य देश को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे।आपको बता दें कि इस प्रकार की उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बना है। इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस के पास ही ये ताकत थी। खास बात ये भी रही कि चीन ने जब ऐसा परीक्षण किया था तो पूरी दुनिया ने उसकी आलोचना की थी, लेकिन भारत के इस परीक्षण के करने पर कोई भी बड़ा देश हमारे खिलाफ नहीं खड़ा हुआ।
— ANI (@ANI) March 28, 2019
रेड्डी ने A-SAT मिसाइल के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि ये मिसाइल लो अर्थ ऑर्बिट यानी LEO सैटेलाइट को टारगेट बनाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि हमारे पास इससे बड़े लक्ष्य को हासिल करने की भी ताकत है, लेकिन हमने पहले LEO को टारगेट बनाने की ठानी क्योंकि हम किसी भी अन्य देश को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे।
आपको बता दें कि इस प्रकार की उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बना है। इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस के पास ही ये ताकत थी। खास बात ये भी रही कि चीन ने जब ऐसा परीक्षण किया था तो पूरी दुनिया ने उसकी आलोचना की थी, लेकिन भारत के इस परीक्षण के करने पर कोई भी बड़ा देश हमारे खिलाफ नहीं खड़ा हुआ।
#WATCH Visuals from the launch of the anti satellite missile used in #MissionShakti #ASAT pic.twitter.com/IEIhtHpPgs
— ANI (@ANI) March 27, 2019