अजय चौधरी
हर क्रिकेटर का ये सपना होता है कि वो क्रिकेट के मैदान में खेलता हुआ ही सन्यास ले, घर बैठा नहीं। लेकिन भारत में पिछले कई मामलों में ऐसा नहीं हो पा रहा। और एक से एक महान खिलाड़ी जिन्होंने इस खेल में देश को बड़े मुकाम पर पहुँचाया, सिर्फ युवराज ही नहीं एक लंबी लिस्ट है उन्हें वो सम्मान नहीं मिला पाया जिसके वो असल में हकदार थे। इसमें गलती सिर्फ बीसीसीआई की नहीं उन क्रिकेट फैंस की भी है जिन्होंने अपने इन पसंदीदा खिलाड़ियों के लिए कभी इंसाफ नहीं मांगा। वो नए खिलाड़ियों पर पूरी शिद्दत के साथ शिफ्ट हो गए।
खिलाड़ी खुलकर इसे कह नहीं पाते क्योकिं उनके आगे बचे जीवन के बहुत से हित बीसीसीआई और क्रिकेट से जुड़े रहते हैं। लेकिन बीसीसीआई अगर सही समय पर फैसला लेकर खिलाड़ियों को बता दे कि हम आपको आगे खेलने का मौका नहीं देंगे तो खिलाड़ी अपने क्रिकेट जीवन के सही समय में सन्यास लेना का फैसला कर सकते हैं।
कई बार ऐसी खबरें सामने आई कि सीनियर खिलाड़ियों कि कप्तान धोनी के साथ नहीं बन पा रही। हालांकि इन्हें नकारा भी जाता रहा। लेकिन कई बड़े खिलाड़ी धीरे धीरे टीम से बाहर कर दिए गए और बाहर ही उनकी विदाई हो गयी।
समय का चक्र अब घुमा है। अब धोनी भी समझ चुके हैं कि अब टीम इंडिया में उनका समय पूरा हो चुका है। ये उनका आखरी वर्ल्डकप हो इस बात की पूरी संभावना है। लेकिन अच्छी बातबये है कि धोनी अपनी मर्जी से सन्यास ले सकते हैं वो भी मैदान पर खेलते हुए। अभी कोई ऐसी ताकत नजर नहीं आती जो धोनी को बाहर बैठाकर कर सन्यास दिलवा दे।
धोनी देशभक्त हैं, ये बताने के लिए उन्होंने क्रिकेट का मैदान चुना है
हो सकता है धोनी का बलिदानी बैज उनके आगे के जीवन का संकेत हो। और वो ये देखना चाहते हों कि इसकी क्या प्रतिक्रिया निकल कर देश में सामने आती है। क्योंकि धोनी नियमों के मामलों में इतने अपरिपक्व कतई नहीं हो सकते। वो क्रिकेट के मैदान से ही आगे के जीवन की सही दिशा और सुर्खियों में रहने की वजह तलाश रहे हैं जो बाकि क्रिकटरों से भिन्न भी हो।
“ये लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में सभी सूचनाएं लेखक द्वारा दी गई हैं, जिन्हें ज्यों की त्यों प्रस्तुत किया गया हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति दस्तक इंडिया उत्तरदायी नहीं है।”