अजय चौधरी
आप कितना ही बिना भेदभाव के लोगों के बीच रहिए, दोस्त बनाईए, जाति और धर्म पर गौर किए बिना आप उनसे जुड़े रहिए। अपने नाम के पीछे से जाति हटा लीजिए, इंसान का इंसान से नाता रखीए। लेकिन फिर भी आपकी जाति और आपके आसपास मौजूद लोगों की जाति उम्रभर आपका पीछा नहीं छोडेगी।
हम जिसे समाज कहते हैं, उस समाज के कुछ स्वंयभू ठेकेदार हैं, वो ऐसी बात करते हैं कि आपको लगता है कि वो आपके हित की बात कर रहे हैं और उन्हीं के सहारे आपका समाज ऊपर उठ सकता है। हालाकिं कुछ लोग होते हैं जो अपने समाज के लिए दिल से मेहनत करते हैं और विभिन्न आंदोलनों में अपनी जान तक देने के लिए तैयार होते हैं। मैं ऐसे बहुत से युवाओं को जानता हूं जो अपने समाज के उत्थान के लिए दिल से काम कर रहे हैं।
लेकिन कुछ ऐसे ठेकेदार होते हैं, जिनका काम सिर्फ और सिर्फ आपको समाज के नाम पर बांटना और खुद प्रसिद्धी हासिल करना होता है। ऐसे ठेकेदार बड़े-बडे आंदोलन भी करते हैं, सत्ता के खिलाफ भी आपके लिए आवाज उठाने का दिखावा करते हैं और आखिर में आपके सर-पिटवा कर समझौता कर बैठ जाते हैं।
रिपोर्ट: इस मामले में भारत 2019 में ब्रिटेन और 2025 में जापान को छोड़ देगा पीछे
आपको अपनी जाति, समाज और धर्म के नाम पर भावुक होने से पहले ये देख लेना चाहिए कि ये व्यक्ति कौन है और इसके पीछे उसका क्या मकसद जुड़ा है। भावनाओं में बहकर कई बार हम गलत को भी सही ठहरा देते हैं। क्योंकि सबसे पहले हमारे लिए हमारा समाज है।
जब हम इन लोगों के दुष्प्रचार में फंस जाते हैं तो हम अपने उन दोस्तों की जाति और धर्म भी देखने लगते हैं जिनके साथ हम सालों से जुडे हैं। हम इस आधार पर ऐसे लोगों से भी दूर होने लगते हैं जिन्होंने हमारे पक्ष में भले ही कितना कुछ लिखा हो या समर्थन किया हो। हम उन्हें एक झटके में उनकी जाति से संबोधित कर उनके सालों के किए कराए पर पानी फेर देते हैं और अपनी जाति के गलत व्यक्ति का भी समर्थन करने लगते हैं क्योंकि वो हमारी जाति का है।
मेरा मानना है कि अगर हम ऐसे ही इन ठेकेदारों के चंगुल में आते रहे तो देश में दूसरा भगत सिंह और अब्दुल कलाम कभी नहीं आ पाएगा। हमें व्यक्ति कि पहचान हमेशा उसके काम और विचारों से करनी चाहिए। जन्म तो वो किसी भी जाति और धर्म में ले सकता है। ये उसके वश में कहां है?