हाल ही में सरकार ने प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। वहीं, पर्यावरण के लिए प्लास्टिक बैग की जगह कागज और सूती बैग्स को अच्छा माना जाता है, लेकिन ये बैग्स प्लास्टिक बैग से भी ज्यादा खतरनाक साबित होते है।
बीबीसी हिंदी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्लास्टिक बैग पर्यावरण के लिए खतरनाक होते ही है, लेकिन इससे भी ज्यादा कागज और सूती बैग्स हानिकारक होते है। वहीं, उनका कहना है कि प्लास्टिक बैग्स को इस्तेमाल करने के बाद रिसाइकिल किया जा सकता है लेकिन इन बैग्स को नहीं।
पर्यावरण के लिए ये बैग है खतरनाक
इस रिपोर्ट के अनुसार, कागज के बैग बनाने के लिए पेड़ों की कटाई की जाती है, जिसकी वजह से इसका बुरा प्रभाव पर्यावरण पर अच्छा-ख़ासा देखने को मिलता है। वहीं, इनको बनाने के लिए पानी की भी अधिक जरूरत पड़ती है और इस प्रक्रिया में एक तरह का गाढ़ा जहरीला केमिकल भी निकलता है। इससे भी पर्यावरण पर काफी बुरा असर पड़ता है। वहीं, सूती बैग बनाने के लिए कपास का इस्तेमाल किया जाता है, जोकि काफी महंगी फसल है और इन बैग्स को बनाने में भी अधिक पानी की जरूरत पड़ती है।
वहीं, प्लास्टिक बैग को नष्ट करने में करीब चार सौ से एक हजार साल का समय लगता है। इस नजरिये से ये बैग्स काफी प्रदूषण फैलाते है। बात करें कागज बैग की तो ये कम समय के लिए टिक पाते है लेकिन ये बहुत जल्द ही नष्ट हो जाते है और इनसे प्रदूषण का खतरा कम रहता है। सूती बैग इन दोनों प्रकार के बैगों से अच्छे होते है क्योंकि ये लंबे समय के लिए टिकाऊ होते है। इसलिए नष्ट करने की जरूरत नहीं पड़ती।
कितनी बार किया जाए इस्तेमाल
साल 2006 में ब्रिटेन की पर्यावरण एजेंसी ने एक रिसर्च की, जिसमें उसने पाया कि कागज के बैग्स को कम से कम दो से तीन बार इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हालांकि, ये बैग कम टिकाऊ होते है लेकिन जितनी बार भी हो सके तो इन्हें ही इस्तेमाल में लाना चाहिए। वहीं, प्लास्टिक बैग को चार बार इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा, एक अन्य एजेंसी का कहना है कि सूती बैग्स को कम से कम 131 बार इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि ये मजबूत होते है और काफी लंबे समय के लिए टिकाऊ भी। साथ ही, इन बैग्स को बनाने में सबसे ज्यादा उर्जा की खपत होती है।
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