Rahul Gandhi on Indipence Day: भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला, जब विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पीछे की पंक्ति में ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ बैठे देखा गया। यह दृश्य सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया।
एक दशक बाद पहली बार-
यह पिछले दस वर्षों में पहली बार था, जब कोई विपक्ष का नेता स्वतंत्रता दिवस समारोह में लाल किले पर मौजूद था। राहुल गांधी सफेद कुर्ता-पायजामा पहने नजर आए और उन्हें भारतीय हॉकी टीम के फॉरवर्ड गुरजंत सिंह के बगल में बैठे देखा गया।
सीटिंग अरेंजमेंट क्या था प्रोटोकॉल?
प्रोटोकॉल के अनुसार, लोकसभा में विपक्ष के नेता को, जिनका दर्जा कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है, हमेशा पहली पंक्ति में स्थान दिया जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। पहली पंक्तियों में ओलंपिक पदक विजेता जैसे मनु भाकर और सरबजोत सिंह को बैठाया गया था। ओलंपिक कांस्य पदक विजेता हॉकी टीम के सदस्य, जिनमें कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पीआर श्रीजेश शामिल थे, भी राहुल गांधी से आगे बैठे थे।
रक्षा मंत्रालय ने क्या कहा?
राहुल गांधी की बैठक व्यवस्था पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ने के बाद, रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस सांसद को पीछे की ओर स्थानांतरित करना पड़ा क्योंकि अगली पंक्तियाँ ओलंपिक पदक विजेताओं के लिए आवंटित की गई थीं। रक्षा मंत्रालय स्वतंत्रता दिवस समारोह के आयोजन और बैठक योजना बनाने के लिए जिम्मेदार है। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान, तत्कालीन विपक्ष की नेता सोनिया गांधी को हमेशा पहली पंक्ति में स्थान दिया जाता था। यह परंपरा लंबे समय तक चली आ रही थी।
लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद-
2014 से लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद खाली है, क्योंकि कोई भी पार्टी निचले सदन की ताकत के दसवें हिस्से के बराबर संख्या हासिल नहीं कर पाई। 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या बढ़ाकर 99 कर ली, जबकि एनडीए कम बहुमत के साथ सत्ता में लौटी।
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कोई विशेष मांग नहीं-
सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी पांचवी पंक्ति में बैठे, जो उन्हें आवंटित की गई थी। उन्होंने कोई विशेष मांग या अनुरोध नहीं किया। यह बात भी गौर करने लायक है कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की सीट भी पांचवीं पंक्ति में थी, लेकिन वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। इस घटना ने एक बार फिर राजनीतिक प्रोटोकॉल और सम्मान के मुद्दों को सामने ला दिया है। क्या यह महज एक संयोग था या फिर कुछ और? यह सवाल अभी भी कई लोगों के जहन में है।
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