ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान के साथ कुछ नया करना चाहता है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि पाकिस्तान के साथ सामरिक धैर्य बनाए रखने और उसे प्रलोभन देने की बजाय अब इस्लामाबाद के साथ ‘कुछ नया’ करने का समय आ गया है, ताकि पाकिस्तान को आतंकवादियों के लिए ऐसा सुरक्षित पनाहगाह बनने से रोका जा सके, जहां से वे (आतंकवादी) अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमला कर सकते हैं। हालांकि यह साफ नहीं किया गया कि ‘कुछ नया’ का मतलब क्या है, लेकिन इसे बड़ी कार्रवाई का इशारा माना जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने यह भी कहा कि 9/11 के हमले के बाद अमेरिका की सरकारों द्वारा अपनाई गयी पाकिस्तान नीति ने सही काम नहीं किया है।
ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि अमेरिका, पाकिस्तान या अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनने देने को लेकर प्रतिबद्ध है, जहां से आतंकवादी अमेरिका और उनके सहयोगियों पर हमला करते हैं। उन्होंने कहा, ‘ये पनाहगाह क्षेत्र में स्थिरता के लिए खतरा बन गये हैं और वह आतंकवाद से जुड़ी उन सभी गतिविधियों को तूल दे रहे हैं, जिनका हम सामना कर रहे है।
उन्होंने कहा, ‘आतंकी ठिकाने अमन-चैन के लिए खतरा बन गए हैं। उन सभी आतंकी कारस्तानियों को तूल दे रहे हैं जिनका हम सामना करते हैं। अधिकारी ने कहा, जाहिर है ट्रंप प्रशासन ने काफी सब्र बनाए रखा और केरी-लुगर-बर्मन बिल जैसे लालच दिए (जिसके तहत पाकिस्तान को अरबों डॉलर का फंड मिला) लेकिन काम कुछ नहीं आया। आतंकी पाकिस्तान में बेधड़क अपना काम कर रहे हैं। सरकार और आतंकी गुटों के बीच साठगांठ भी है’।
अधिकारी ने कहा, ‘अब कुछ नया करने का वक्त आ गया है। अफगानिस्तान में कुछ अच्छा करना है तो इन ठिकानों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। राष्ट्रपति ट्रंप वहां शांति का माहौल कायम रखना चाहते हैं’।
बीते सप्ताह, ट्रंप प्रशासन ने पाक को दिया जाने वाला दो अरब डॉलर का फंड रोक दिया था. इस पर, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा था कि अमेरिका अब पाकिस्तान का सहयोगी नहीं है.
अधिकारी ने कहा, ‘पाकिस्तान में 9/11 हमले की जड़ें हैं. हमनें अफगानिस्तान में अपने लोग और पैसा लगाया है. हम अफगानिस्तान में तालिबान को हावी नहीं होने देंगे. इसके लिए हमारी पूरी कोशिश है कि अफगानिस्तान या पाकिस्तान में आतंकी ठिकानें ना पनप पाएं