IIT Baba: महाकुंभ 2025 में लोगों के चहेते बने आईआईटी बाबा के जूना अखाड़े से अचानक गायब होने की खबर ने आध्यात्मिक जगत में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर बढ़ती लोकप्रियता और अखाड़े की परंपराओं के कथित उल्लंघन के चलते उनकी विदाई ने भक्तों और समर्थकों के मन में कई तरह की भावनाएं जगाई हैं।
कौन हैं आईआईटी बाबा? (IIT Baba)
आईआईटी बाबा, जिनका असली नाम अभय सिंह है, हरियाणा के रहने वाले हैं और आईआईटी बॉम्बे से स्नातक हैं। एक इंजीनियर से संन्यासी बनने की उनकी यात्रा ने कई लोगों को प्रभावित किया था। आधुनिक बुद्धि और प्राचीन ज्ञान के बीच सेतु बनाने के लिए प्रशंसित इस युवा साधु का वही फेम अब उनके पतन का कारण बन गई है।
विवाद की जड़ें(IIT Baba)-
जूना अखाड़े के वरिष्ठ संतों के अनुसार, मीडिया से बातचीत करने का अधिकार केवल वरिष्ठ संतों को है। सूत्रों के मुताबिक, आईआईटी बाबा की सोशल मीडिया पर वायरल होती उपस्थिति ने अखाड़े में तनाव पैदा कर दिया। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, वरिष्ठ संत ने का कहना है, कि “पिछले कुछ हफ्तों में उनके व्यवहार में बदलाव आया। उनके शब्दों, स्थिरता और फोकस में बदलाव दिखा। हमें यह भी पता चला, कि वे किसी चीज के थोड़े एडिक्शन का शिकार हो गए थे, जिसने उनकी स्पीरिच्युअल एक्टिविटि को प्रभावित किया।”
अखाड़े का फैसला-
महाकुंभ में मौजूद संतों के मुताबिक, अखाड़े के नेतृत्व ने उन्हें सोशल मीडिया से दूर रहने और केवल आध्यात्मिक साधना पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया। “उन्हें गुप्त रूप से काम करने और प्रसिद्धि की खोज से बचने का निर्देश दिया गया है। सच्चे साधक ज्ञान और आध्यात्मिक खोज पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लोकप्रियता पर नहीं।”
एक मार्गदर्शक की राय-
आईआईटी बाबा की शुरुआती यात्रा में उनके साथ रहे, एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक ने बताया, “करीब 40 दिन पहले मैंने उनमें एक सच्चे जिज्ञासु को देखा। मैंने उन्हें वरिष्ठ गुरुओं से मिलवाया और कुंभ मेले को एक लाइफटाइम अपोर्चुनिटी के रूप में एक्सप्लोर करने के लिए प्रोत्साहित किया।”
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दीक्षा प्रक्रिया अधूरी-
जूना अखाड़े में पांच चरणों की कड़ी दीक्षा प्रक्रिया है, जिसमें भस्म, दैवीय आशीर्वाद, पवित्र कंगन, लंगोट और मंत्र शामिल हैं। अखाड़े के संतों के मुताबिक, आईआईटी बाबा ने अभी तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं की थी और औपचारिक रूप से किसी गुरु को स्वीकार नहीं किया था। “भविष्य में अगर उनकी किस्मत में है, तो वे दीक्षा ले सकते हैं, लेकिन यह उन पर निर्भर करता है।”
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