Maha Kumbh 2025: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक समागम महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी, 2025 को प्रयागराज में पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर हुई। रिपोर्ट्स के अनुसार, शाम 4 बजे तक लगभग 1.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम नगरी के 44 घाटों पर पवित्र स्नान किया।
हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा(Maha Kumbh 2025)-
स्नान के दौरान श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से लगभग 20 क्विंटल फूलों की वर्षा की गई, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। यह दृश्य आस्था और आधुनिकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता था। अगर आप भी इस अध्यात्म के सागर में डुबकी लगाने का मन बना रहे हैं या आप वहां जाने के बारे में सोच रहे हैं, तो इसके लिए आपको पहले कुछ नियम जान लेने चाहिए।

काशी विश्वनाथ मंदिर के विशेष नियम (Maha Kumbh 2025)-
1. स्पर्श दर्शन पर रोक
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा ने घोषणा की, कि पूरे महाकुंभ के दौरान ‘स्पर्श दर्शन’ पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। इसके स्थान पर श्रद्धालुओं को ‘झांकी दर्शन’ की सुविधा प्रदान की जाएगी।
2. आरती व्यवस्था में बदलाव
- मंगला आरती को छोड़कर सभी आरतियों के दौरान बाबा विश्वनाथ की झांकी का दर्शन किया जा सकेगा
- महाकुंभ के दौरान मंगला आरती को छोड़कर सभी आरतियों के टिकटों की बिक्री स्थगित
- वीआईपी दर्शन के लिए दोपहर 2 से शाम 4 बजे का समय निर्धारित

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अखाड़ों का अमृत स्नान-
मकर संक्रांति के अवसर पर मंगलवार को अखाड़ों ने महाकुंभ मेले का ‘अमृत स्नान’ किया। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने सबसे पहले मकर संक्रांति पर ‘अमृत स्नान’ किया।
विशेष व्यवस्थाएं और सुरक्षा-
मंदिर प्रशासन भीड़ प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधा के आधार पर आगे के निर्णय लेगा। आवश्यकता पड़ने पर नियमों में छूट दी जा सकती है। कुल 13 अखाड़ों के साधु-संत महाकुंभ में भाग ले रहे हैं।
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