Tesla India: दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टेस्ला ने भारत में अपना ऑपरेशन शुरू करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है। कंपनी ने कई पदों के लिए भर्तियां निकाली हैं, जिससे भारतीय बाजार में टेस्ला की आधिकारिक एंट्री की अटकलें एक बार फिर तेज हो गई हैं।
Tesla India मोदी-मस्क मुलाकात का असर-
यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही में अमेरिका यात्रा के दौरान टेस्ला के सीईओ एलन मस्क से मुलाकात के तुरंत बाद सामने आया है। हालांकि मीडिया में 21 लाख रुपये की टेस्ला कार की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।
Tesla India वास्तविक कीमत का खुलासा-
ग्लोबल कैपिटल मार्केट कंपनी CLSA की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इम्पोर्ट ड्यूटी 20 प्रतिशत से कम होने के बावजूद टेस्ला मॉडल 3 की कीमत 35 से 40 लाख रुपये के बीच होगी। अमेरिका में टेस्ला की सबसे सस्ती कार मॉडल 3 की कीमत लगभग 35,000 डॉलर (करीब 30.4 लाख रुपये) है।
भारतीय बाजार पर प्रभाव-
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कीमत स्तर पर टेस्ला भारतीय ईवी मार्केट में कोई बड़ा उथल-पुथल नहीं मचा पाएगी। महिंद्रा XEV 9e, हुंडई क्रेटा इलेक्ट्रिक और मारुति सुजुकी e-विटारा जैसी घरेलू ईवी मॉडल्स से 20-50 प्रतिशत अधिक कीमत पर टेस्ला मॉडल 3 की पोजिशनिंग से बाजार में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा।
भारत में टेस्ला का विस्तार-
टेस्ला ने 18 फरवरी को लिंक्डइन पर 13 विभिन्न पदों के लिए नौकरियां पोस्ट की हैं। आने वाले महीनों में कंपनी दिल्ली और मुंबई में अपने शोरूम खोलने की योजना बना रही है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय बाजार में अपनी कारों को किफायती बनाने और अपने संचालन को बढ़ाने के लिए टेस्ला को भारत में एक मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी स्थापित करनी होगी।
सरकारी नीति का लाभ-
भारत की ईवी नीति के तहत, अगर टेस्ला 4,150 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करके लोकल फैसिलिटी स्थापित करती है, तो उसे प्रति वर्ष 8,000 यूनिट्स तक 15 प्रतिशत की कम इम्पोर्ट ड्यूटी का लाभ मिल सकता है।
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टेस्ला का भारतीय बाजार में प्रवेश इस बात पर निर्भर करता है कि वह स्थानीय विनिर्माण में कितना निवेश करने को तैयार है। बिना इसके, कम इम्पोर्ट ड्यूटी के बावजूद, टेस्ला की कारें अधिकांश भारतीय खरीदारों की पहुंच से बाहर रह सकती हैं। साथ ही, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की पैठ चीन, यूरोप और अमेरिका की तुलना में कम होने के कारण, टेस्ला की एंट्री का प्रमुख भारतीय ऑटोमेकर्स पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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