Delhi Assembly: दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। गुरुवार को आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं ने आरोप लगाया, कि उन्हें विधानसभा सत्र से पहले भवन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। पार्टी के अनुसार, विधानसभा परिसर में उनके प्रवेश को रोकने के लिए प्रवेश मार्ग पर बैरिकेड्स लगाए गए थे।
राज्य विधानसभा में विपक्ष की नेता अतिशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर दावा किया कि निलंबित होने के बाद, पार्टी के विधायकों को अब परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उल्लेखनीय है कि 25 फरवरी को कैग रिपोर्ट पर हंगामे के बाद अध्यक्ष द्वारा 21 विधायकों को निलंबित कर दिया गया था।
Delhi Assembly “जय भीम” के नारे पर निलंबन का आरोप-
अतिशी ने एक्स पर लिखा, “सत्ता में आने के बाद बीजेपी के लोगों ने तानाशाही की सारी हदें पार कर दीं। ‘जय भीम’ के नारे लगाने पर आम आदमी पार्टी के विधायकों को तीन दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया। और आज ‘आप’ विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश तक नहीं करने दिया जा रहा है। दिल्ली विधानसभा के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि चुने हुए विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश न करने दिया गया हो।”
दिल्ली की सत्ता में आते ही, BJP की तानाशाही हुई शुरू
AAP विधायकों को विधानसभा के अंदर घुसने नहीं दिया फिर पत्रकारों की विधानसभा में एंट्री पर भी लगाई रोक।
सत्ता के नशे में चूर भाजपा, लोकतंत्र और प्रेस की आजादी का गला घोंट रही है। pic.twitter.com/U58BgNBAHd
— Surya Prakash (@SuryaPrakashIND) February 27, 2025
अतिशी के इस बयान के बाद विपक्ष के विधायकों के बीच रोष देखा गया। कई विधायकों ने भी सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की और इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से ही आप और बीजेपी के बीच तनातनी बढ़ी हुई है, और विधानसभा में पिछले कुछ सत्रों से दोनों दलों के बीच तीखी बहस देखने को मिल रही है।
Delhi Assembly बीजेपी का पलटवार-
इस मामले पर दिल्ली के मंत्री परवेश वर्मा ने कहा, “वे (आप) विधायक उपराज्यपाल के संबोधन के दौरान नारे नहीं लगा सकते। अगर वे इस तरह से कानूनों का उल्लंघन करते हैं, तो यह अच्छा नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि विधानसभा की मर्यादा बनाए रखना सभी सदस्यों का दायित्व है।
राज्य विधानसभा से 21 विधायकों, जिनमें पूर्व दिल्ली की मुख्यमंत्री अतिशी भी शामिल हैं, को शराब नीति पर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पर हंगामे के बाद निलंबित कर दिया गया था। इस शराब नीति के कारण पार्टी के कई शीर्ष नेताओं, जिनमें पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं, की गिरफ्तारी हुई थी।
Delhi Assembly क्या है पूरा मामला?
विधानसभा एक संवैधानिक संस्था है और चुने हुए प्रतिनिधियों का इसमें प्रवेश को रोकना गंभीर मुद्दा है। हालांकि, विधानसभा के नियमों के अनुसार, निलंबित सदस्यों पर कुछ प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, लेकिन पूरी तरह से प्रवेश पर रोक लगाना असामान्य है।
दिल्ली की सत्ता में आते ही, BJP की तानाशाही हुई शुरू
AAP विधायकों को विधानसभा के अंदर घुसने नहीं दिया फिर पत्रकारों की विधानसभा में एंट्री पर भी लगाई रोक।
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— Aapka Shah (@AapkaaShah) February 27, 2025
राजनीतिक विश्लेषक सुरेश शर्मा कहते हैं, “दिल्ली में राजनीतिक टकराव का यह नया अध्याय चिंताजनक है। विधायकों का निलंबन एक बात है, लेकिन उन्हें विधानसभा परिसर में प्रवेश से रोकना एक अलग मामला है। यह जांच का विषय होना चाहिए कि क्या यह कदम विधानसभा के नियमों के अनुरूप था।”
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शराब नीति विवाद-
यह ध्यान देने योग्य है कि दिल्ली की शराब नीति विवाद ने पिछले कुछ महीनों में राजधानी की राजनीति को पूरी तरह से बदल दिया है। सीएजी की रिपोर्ट में इस नीति में कई अनियमितताओं का उल्लेख किया गया था, जिसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसियों ने मामले की जांच शुरू की थी।
इस जांच में आप के कई वरिष्ठ नेताओं, जिनमें पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया। आप का आरोप है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध है, जबकि बीजेपी का कहना है कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई है।
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