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Dastak India > Home > धर्म > बिंदी: भारतीय परंपरा का एक छोटा सा टीका, बड़ा सा मतलब
धर्म

बिंदी: भारतीय परंपरा का एक छोटा सा टीका, बड़ा सा मतलब

Dastak Web Team
Last updated: April 16, 2025 7:59 pm
Dastak Web Team
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आपने कभी गौर किया है कि माथे पर लगी वो छोटी सी बिंदी कितनी खास होती है? ये सिर्फ़ एक रंगीन टीका नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, अध्यात्म और यहाँ तक कि सेहत से जुड़ा एक गहरा प्रतीक है। चाहे शादीशुदा महिलाएँ इसे अपनी सुहाग की निशानी के तौर पर लगाएँ या यंग लड़कियाँ इसे स्टाइल के लिए, बिंदी हर बार एक कहानी कहती है। आइए, इस छोटे से डॉट के बड़े मतलब को समझें।

Contents
परंपरा और प्रतीक: बिंदी का गहरा कनेक्शनविज्ञान और सेहत: बिंदी के छिपे हुए फायदेफैशन का तड़का: बिंदी का मॉडर्न अवतारग्लोबल अपील: बिंदी का विश्वव्यापी सफरबिंदी: एक छोटा सा निशान, अनगिनत कहानियाँ

परंपरा और प्रतीक: बिंदी का गहरा कनेक्शन

बिंदी का नाम संस्कृत के शब्द “बिंदु” से आया है, जिसका मतलब है “बिंदु” या “डॉट”। लेकिन ये कोई साधारण बिंदु नहीं! हिंदू संस्कृति में इसे “तीसरी आँख” का प्रतीक माना जाता है, जो माथे के बीच में स्थित अजना चक्र से जुड़ा है। ये चक्र हमारी बुद्धि, अंतर्ज्ञान और अध्यात्मिक शक्ति का केंद्र है। बिंदी लगाने का मतलब है अपने भीतर की उस शक्ति को जगाना और ईश्वर से कनेक्शन बनाना।

Kajal Pisal Dayaben
Photo Source – Google

शादीशुदा महिलाएँ लाल बिंदी लगाकर अपनी शादी और सुहाग की खुशी को दर्शाती हैं। ये लाल रंग देवी शक्ति से जोड़ा जाता है, जो प्रेम, उर्वरता और सुरक्षा का प्रतीक है। वहीं, युवा लड़कियाँ रंग-बिरंगी और डिज़ाइनर बिंदियाँ लगाकर अपनी क्रिएटिविटी दिखाती हैं। ये परंपरा न सिर्फ़ खूबसूरती बढ़ाती है, बल्कि हमारी जड़ों से जोड़े रखती है।

विज्ञान और सेहत: बिंदी के छिपे हुए फायदे

क्या आप जानते हैं कि बिंदी लगाने के पीछे विज्ञान भी है? प्राचीन वैदिक काल में इसे “तिलक” के रूप में लगाया जाता था, जो माथे पर हल्का दबाव डालकर अजना चक्र को एक्टिव करता था। आज भी बिंदी लगाने से कई सेहत से जुड़े फायदे मिलते हैं। ये सिरदर्द को कम करने, साइनस को ठीक करने और तनाव को दूर करने में मदद करती है।

इसके अलावा, बिंदी लगाने से कॉन्सेंट्रेशन बढ़ता है, मेमोरी बेहतर होती है और इमोशनल बैलेंस बना रहता है। कुछ लोग मानते हैं कि ये आँखों की रोशनी और स्किन हेल्थ को भी सपोर्ट करती है। तो अगली बार जब आप बिंदी लगाएँ, तो याद रखें कि ये सिर्फ़ स्टाइल नहीं, बल्कि आपकी मेंटल और फिज़िकल वेल-बीइंग का भी ध्यान रख रही है!

Hare Krishna
Photo Source- Pixabay

फैशन का तड़का: बिंदी का मॉडर्न अवतार

आज के ज़माने में बिंदी सिर्फ़ परंपरा तक सीमित नहीं रही। ये एक ट्रेंडी फैशन एक्सेसरी बन चुकी है। रंग-बिरंगे, शिमरी, जेमस्टोन वाली या इंट्रिकेट डिज़ाइन की बिंदियाँ मार्केट में छाई हुई हैं। लड़कियाँ इसे अपने आउटफिट से मैच करके स्टाइल स्टेटमेंट बनाती हैं।

बॉलीवुड और पॉप कल्चर ने भी बिंदी को ग्लोबल स्टेज पर पहुँचाया है। सेलेना गोमेज़ जैसी इंटरनेशनल स्टार्स ने अपनी परफॉर्मेंस में बिंदी को अपनाकर इसे और पॉपुलर किया। ये न सिर्फ़ भारतीय संस्कृति को रिप्रेजेंट करता है, बल्कि फेमिनिटी और एलिगेंस का भी सिम्बल बन गया है।

ग्लोबल अपील: बिंदी का विश्वव्यापी सफर

आज बिंदी सिर्फ़ भारत की शान नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में इसका जलवा है। वेस्टर्न कल्चर में इसे बोहेमियन स्टाइल और स्पिरिचुअलिटी का प्रतीक माना जाता है। बॉलीवुड फिल्मों और सोशल मीडिया ने इसे और भी हाइलाइट किया। चाहे कोई फेस्टिवल हो, वेडिंग हो या कैजुअल आउटिंग, बिंदी हर मौके पर चार चाँद लगा देती है।

ये भी पढ़ें- अच्छे लोग क्यों सहते हैं दुख? कर्मों के इस खेल पर भगवद गीता का जवाब

बिंदी: एक छोटा सा निशान, अनगिनत कहानियाँ

तो, बिंदी क्यों लगाई जाती है? ये सिर्फ़ फैशन का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, अध्यात्म और सेहत का एक खूबसूरत मेल है। ये हमें अपनी जड़ों से जोड़ती है, आत्मविश्वास देती है और स्टाइल में इज़ाफा करती है। चाहे आप इसे ट्रेडिशनल लाल बिंदी के रूप में लगाएँ या मॉडर्न डिज़ाइनर स्टाइल में, ये छोटा सा टीका हमेशा बड़ा मैसेज देता है।

TAGGED:अजना चक्रअध्यात्मतीसरी आँखफैशनबिंदीभारतीय परंपरा
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