साल 2002 में गोधरा कांड जिसमें ट्रेन के डिब्बे जला दिए गये थे। इस मामले में एसआईटी की विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर गुजरात हाई कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। इस मामले में अब किसी भी दोषी को फांसी की सजा नहीं दी जाएगी।
आपको बता दे की गोधरा ट्रेन कांड में एसआईटी की एक विशेष अदालत ने 1 मार्च 2011 को 31 लोगों को दोषी ठहराया था जबकि 63 लोगों को बरी कर दिया था। 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी जबकि 20 लोगों को उम्रकैद दी गई थी।
जिन लोगों को बरी किया गया था उनमें मुख्य आरोपी मौलाना उमरजी, गोधरा नगरपालिका के तत्कालीन प्रेजिडेंट मोहम्मद हुसैन कलोटा, मोहम्मद अंसारी और गंगापुर, उत्तर प्रदेश के नानूमिया चौधरी शामिल थे।
130 से ज्यादा आरोपियों में से एसआईटी कोर्ट में 94 के खिलाफ सुनवाई हुई। 22 फरवरी 2011 को एसआईटी कोर्ट के फैसला देने के बाद भी कुछ आरोपी पकड़े गए और उनके खिलाफ मामला चला।
ये पूरा मामला 27 फरवरी की सुबह का है साबरमती एक्सप्रेस जैसे ही गोधरा रेलवे स्टेशन के पास पहुंची, उसके एक कोच से आग की लपटें उठने लगीं और धुएं का गुबार निकलने लगा। साबरमती ट्रेन के S-6 कोच के अंदर भीषण आग लगी थी। जिससे कोच में मौजूद यात्री उसकी चपेट में आ गए।
इनमें से ज्यादातर वो कारसेवक थे, जो राम मंदिर आंदोलन के तहत अयोध्या में एक कार्यक्रम से लौट रहे थे। आग से झुलसकर 59 कारसेवकों की मौत हो गई। जिसने इस घटना को बड़ा राजनीतिक रूप दे दिया और गुजरात के माथे पर एक अमिट दाग लगा दिया।