फरीदाबाद, 4 मई। न्यूज पोर्टल की पत्रकार पूजा की संदिग्ध मौत पर अब नए विवाद खडे हो गए हैं। हालांकि पुलिस की बेरुखी के चलते मौत की वजह की तह तक पहुंचना सहज नहीं है। पर जो सामने उभर कर आ रहा है उसमें डाक्टर दंपति फरीदाबाद के सीएमओ सेंट्रल थाना के एसएचओ और मृतक पूजा के करीबी दोस्त पुलिस इंस्पेक्टर औऱ पत्रकार संदेह के घेरे में है। अभी तक सभी के बयान विरोधाभासी हैं। हकीकत यह भी है कि पुलिस इस मामले को सुलझाने में दिशाहीन जांच की तरफ अग्रसर है।
पूजा ने संदिग्ध हालात में रविवार आधी रात के बाद अपने फ्लैट से कूदकर जान दे दी थी। उस समय उसके साथ पुलिस कर्मी अमित वशिष्ठ मौजूद था और उसी के मुताबिक उसने बॉलकॉनी से गिरते हुए पूजा का हाथ पकड लिया था। मजबूत कद काठी के अमित के हाथ से आखिर पूजा का हाथ कैसे फिसल गया। यह एक यक्ष प्रश्न है। पुलिस की इस मामले में संजीदगी इस बात से ही जाहिर है कि उसने अमित से पूछताछ करने की बजाए उसे चंडीगढ स्थानांतरित कर दिया। जबकि मौके पर मौजूद सभी लोगो से पुलिस को सख्ती से पूछताछ करनी चाहिए थी। पुलिस ने उस रात पूजा के साथ शराब पीने वाले अमित और रुबी(बदला हुआ नाम) का डाक्टरी मुआयना क्यों नहीं करवाया। चौंकाने वाली बात यह है कि मृतक पूजा के परिजनों ने भी अमित पर सवाल नहीं उठाए। उनका सारा आक्रोश डा. अर्चना गोयल, अनिल गोयल और झोलाछाप डाक्टर धवल सिंह के खिलाफ था।
हालांकि पूजा के परिजनों ने अमित पर कोई शकशूबा नहीं किया पर पांच नंबर नेशन हट में रहने वाली पूजा की एक पडोसन मुंह बोली भाभी ऊषा भाटिया ने पत्रकारों को बताया कि अमित और पूजा ने छह साल पहले शादी कर ली थी। पूजा ने उसे कईं बार बताया कि अमित उसके साथ मारपीट और प्रताडना करता रहता था। दूसरे पोस्टमाटम के वक्त करीब आधा दर्जन बाउंसर एक एक बात पर नजर रख रहे थे। और इन्होंने ही भाटिया को पत्रकारों के सामने ना केवल बोलने दिया बल्कि अपमानित कर वहां से हटा दिया। ये बाउंसर कौन थे और पुलिस ने इनसे पूछताछ क्यों नहीं की।
इस मामले में डाक्टर अनिल गोयल की भ्रुण हत्या लॉबी के हाथ बहुत ऊपर तक हैं। इसी के चलते फरीदाबाद के सीएमओ गुलशन अरोडा ने पूजा को बताया था कि अनिल गोयल और अर्चना गोयल के खिलाफ पहले भी कईं लिंग परिक्षण करवाने और गर्भपात करवाने की शिकायतें उनके पास हैं। अरोडा का यह बयान पोर्टल पर भी वायरल हुआ। पर अरोडा ने जनसत्ता के पूछने पर बताया कि वह पूजा नाम के किसी पत्रकार को जानता ही नहीं है। दूसरी तरफ सेंट्रल थाने के एसएचओ भारत भूषण ने बिना जांच किए पूजा और उसके सहयोगी अनुज के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज कर दी और आरोपियों को फरार होने का बयान भी जारी कर दिया। हालांकि सेंट्रल थाना में दो एसीपी की मौजूदगी में पूजा और अनुज के सामने जो सीडी और टेलीफोन रिकोर्डिंग दिखाई गई उसमें कहीं भी दो लाख रुपये मांगने का जिक्र तक नहीं था। पूजा के सहयोगी अनुज डाक्टर गोयल से उनका पक्ष जानने के लिए समय मांग रहे थे। आखिर जांच के बाद भी भारतभूषण ने मुकदमा कैसे दर्ज कर दिया। यह सवाल अब भी खडा है। यह सीडी और टेलिफोन रिकोर्डिंग डाक्टर गोयल ने ही पुलिस को दी थी।
तमाम पत्रकार जो अब पूजा की संदिग्ध मौत पर सहानुभूति दे रहे हैं उन सब ने पहले पूजा को पत्रकार मानने से ही इंकार कर दिया था और उसे फर्जी पत्रकार करार दिया था। यहां तक की उसके खुद के मीडिया संस्थान ने भी उसे निलंबित कर दिया था। चारों तरफ से निराश पूजा इनसब के दबाव के आगे टूट गई। नतीजतन बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान के तहत लिंग परिक्षण और गर्भपात करवाने वाली लॉबी की स्टिंग करने की कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पडी।