अजय चौधरी
हमारी सोसाइटी की अक्सर ऐसी विचारधारा रहती है कि अपराध अधिक उन इलाकों में होते हैं जहां साक्षरता कम होती है। होता भी ऐसा ही है पुलिस के आएदिन आने वाले प्रेसनोट में बलात्कार और लड़कियों के लापता होने के मामले वहीं के होते हैं। किसी सेक्टर एरिया से ऐसी घटनाओं की सूचना शायद ही कभी आती है। पर दंगल फेम जायरा वसीम के साथ जो हुआ, उस जगह हुआ जो देश में शान की सवारी समझी जाती है।
दिल्ली मुंबई फ्लाइट में जायरा वसीम अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रही होंगी। की यहां सभ्य लोग सफर करते हैं वो सुरक्षित अपनी यात्रा पूरी कर लेगी। लेकिन जायरा को नहीं पता था कि आजकल असभ्य लोग फ्लाइट का टिकट भी खरीदने लगे हैं और उनपर पैसा भी बहुत होता है। जायरा को अगर ट्रेन के जरनल डिब्बे से सफर करना पड़ता तो शायद वो सुरक्षा की दृष्टि से अकेले सफर न करती। कहा जाता है कि ट्रेन में हर तरह के लोग चलते हैं। लेकिन हवाई यात्रा में कोई अपने पैर से उसके शरीर को सहलाएगा उसने ऐसा सपने में भी नहीं सोचा होगा।
दरअसल कम साक्षरता उन गरीब बस्तियों में ही नहीं उस प्रबुद्ध और संपन्न वर्ग में भी हो गयी है। पैसा कमा लेना, डिग्री ले लेना या अंग्रेजी मात्र आ जाने भर से आदमी शिक्षित नहीं हो जाता। सड़कों पर रोडरेज में वो गरीब नहीं वो पढ़ा लिखा पैसे वाला लड़ रहा है। पंचकूला में रात को महिला से छेड़छाड़ की घटना को अंजाम देने वाला हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष का बेटा था। वो तो लड़की आइएएस की बेटी थी। दोनों बाप बेटी ने परिणाम जानते हुए भी हिम्मत से काम लिया और अपराधी को सलाखों के पीछे भेजकर ही दम लिया। किसी और कि बेटी होती तो केस क्या शायद उसका भी अता पता न चलता।
जायरा हिम्मत वाली हैं,उन्होंने उनके साथ जो हुआ वो दुनिया के सामने रखा। उस वक्त वो सहम गई होगी लेकिन बाद में खुलकर अपनी बात वीडियो के माध्यम से सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुँचाईं। फ्लाइट में हुई छेड़छाड़ का ये पहला मामला नहीं होगा। पहले भी हुए होंगे वो तो लज्जा के मारे कोई महिला बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाई होगी।
दरअसल देश में शिक्षा देने वाले शिक्षक में ही साक्षरता और संस्कारों की घोर कमी हो चली है। न तो वो स्कूल रहे न वो शिक्षक। हां नाम और फीस जरूर बड़ी हो गई है। शिक्षा केवल एक व्यापार बनकर रह गई है। ऊँची मंजिलों वाले स्कूलों में फीस तो मोटी वसूली जाती है लेकिन बच्चों को संस्कार नहीं दिए जाते। जिसका नतीजा हमारे सामने प्रद्युमन हत्याकांड के रूप में सामने आया। यही हाल निजी अस्पतालों का हो गया है। हमने मूलभूत जरूरतों में आने वाले शिक्षा और स्वास्थ्य को व्यापार की और धकेल दिया है। जिसका नतीजा मैक्स और फोर्टिस हॉस्पिटल के रूप में हमारे सामने है। दरअसल ये सभी घटनाएं हमारे सामाजिक पतन की ओर इशारा करती हैं।
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