अमेरिका का कहना है कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश के लिए उसकी कोशिशें जारी हैं। भारत में अमेरिका के नवनियुक्त राजदूत केनेथ जस्टर ने गुरुवार को कहा कि हम अपने सहयोगियों के साथ भारत को एनएसजी में प्रवेश दिलाने के मुद्दे पर काम कर रहे हैं। जेस्टर ने अपना पद संभालने के बाद दिए गए पहले सार्वजनिक भाषण में कई अहम मुद्दों पर बात की, जिसमें एनएसजी में भारत की सदस्यता का मुद्दा भी शामिल था।
चीन डाल रहा है अड़ंगा
उल्लेखनीय है कि 48 देशों वाले इस संगठन में भारत के प्रवेश के मुद्दे पर इसके ज्यादातर सदस्य राजी हैं, मगर चीन लगातार भारत की कोशिशों में अड़ंगा डाल रहा है।
तकनीक को लेकर चुनौतियां
जस्टर ने यह भी माना कि भारत को संवेदनशील अमेरिकी तकनीक देने के मामले में दोनों देशों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत इन तकनीकों तक पहुंच बढ़ाना चाहता है। दूसरी तरफ अमेरिका यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इन तकनीकों का इस्तेमाल सिर्फ भारत द्वारा किया जाएगा। इसके लिए निर्यात नियंत्रण की एक अत्याधुनिक प्रणाली विकसित करनी होगी, जो इस समय भारत के पास नहीं है।
एच1बी वीजा पर भी दिया आश्वासन
अमेरिका में एच1बी वीजा को लेकर भी जस्टर ने यह आश्वासन दिया है कि वैध तौर पर रह रहे भारतीय कामगारों को जबरदस्ती वहां से भेजने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि अमेरिका अप्रवासियों का देश है, मगर हमेशा के लिए इनकी संख्या बढ़ाई नहीं जा सकती है। जो लोग बाहर से आते हैं, उन्हें एक कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। हाल ही में समाचार पत्रों में एच1बी वीजा धारकों को स्वदेश भेजे जाने को लेकर छपी खबरों का उन्होंने खंडन किया और कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है। अमेरिका संभवत: दुनिया का सबसे खुला देश है जहां हर क्षेत्र से लोग आते हैं। भारतीय मूल के ही 40 लाख लोग वहां रह रहे हैं।