अजय चौधरी
कैसा लगे जब आपके घर के बाथरूम में तेंदुआ बैठा मिले। गुरुवार को पलवल में ऐसा ही हुआ जब एक पटवारी के घर के बाथरूम में तेंदुआ आराम फरमा रहा था। अब सोचो तेंदुआ कहां से आया? आसमान से टपका? नहीं अरावली से आया, उसी अरावली से जिसे हरियाणा सरकार जंगल मानने को तैयार नहीं है। इन तेंदुओं को ऐसे लोगों के घर छोड़ देना चाहिए ताकि उन्हें समझ आ सके कि अरावली में जंगल अभी बाकी है।
पलवल में पहली बार नही आया तेंदुआ-
तेंदुएं का ख़ौफ़ पलवल ने पहली बार नहीं देखा। फरवरी 2017 में भी पलवल की कृष्णा कॉलोनी में तेंदुआ आया था तब उसने काफी लोगों को घायल भी किया था लेकिन इस बार तेंदुआ बिना किसी हानि के सकुशल पकड़ लिया गया। इससे पहले 2016 में गुड़गांव के मंडावर गांव में लोगों ने तेंदुए को पीट-पीटकर मार डाला था। गुड़गांव-फरीदाबाद रोड पर अक्सर तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर तेंदुओं की मौत होती रहती है। हाल में 26 जनवरी की रात पाली चौकी के पास एक 10 महीने के तेंदुए के बच्चे की मौत हो गयी थी। अक्सर खाने की तलाश में तेंदुए जंगल से बाहर आते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं।
7 सालों में 120 से ज्यादा वन्य जीवों ने गवाईं जान-
वन विभाग के अनुसार पिछले सात सालों में 120 से ज्यादा वन्य जीव गुड़गांव-फरीदाबाद रोड को पार करते वक्त मारे गए हैं। ये तो वो हैं जो रिकॉर्ड में हैं और जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं उनकी कोई गिनती भी नहीं। वन विभाग इस सड़क पर सरकार से टनल या कॉरिडोर बनाने के लिए कई बार लिख चुका है ताकि ये वन्य जीव आराम से सड़क पार कर सकें। लेकिन अरावली को खत्म करने पर तुली सरकार के कान पर आजतक कोई जूं रेंगी ही नहीं।
तेंदुए, लकड़बग्घे और गीदड़ की संख्या में हुआ इजाफा-
नवभारत टाइम्स में छपी 2017 की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार अरावली में सबसे ज्यादा तेंदुए, लकड़बग्घे और गीदड़ की संख्या में इजाफा हुआ है। फरीदाबाद और गुड़गांव जिलों के अंतर्गत आने वाले घामरोज, भोंडसी, रायसीना, मांगर, गोठड़ा, बड़खल, कोटला, कंसाली, नीमतपुर, खोल और पंचोटा में तेंदुए और लकड़बग्घों की स्थिति काफी बेहतर है।
बेचेगा सिर्फ कंक्रीट जंगल और घुट घुट कर जीते आप और हम-
अब इसी तरह अगर शहरों में तेंदुए दिखाई दिए तो हमें चौंकना नहीं चाहिए। ये आम होने जा रहा है और बस कुछ ही सालों की बात है फिर न ये जंगल रहेंगे और न ये वन्य जीव। रहेगा तो कंक्रीट का जंगल और उसमें घुट-घुट कर मरते आप और हम….
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अजय चौधरीकैसा लगे जब आपके घर के बाथरूम में तेंदुआ बैठा मिले। गुरुवार को पलवल में ऐसा ही हुआ जब एक पटवारी के घर के बाथरूम में तेंदुआ आराम फरमा रहा था। अब सोचो तेंदुआ कहां से आया? आसमान से टपका? नहीं अरावली से आया, उसी अरावली से जिसे हरियाणा सरकार जंगल मानने को तैयार नहीं है। इन तेंदुओं को ऐसे लोगों के घर छोड़ देना चाहिए ताकि उन्हें समझ आ सके कि अरावली में जंगल अभी बाकी है।पलवल में पहली बार नही आया तेंदुआ-तेंदुएं का ख़ौफ़ पलवल ने पहली बार नहीं देखा। फरवरी 2017 में भी पलवल की कृष्णा कॉलोनी में तेंदुआ आया था तब उसने काफी लोगों को घायल भी किया था लेकिन इस बार तेंदुआ बिना किसी हानि के सकुशल पकड़ लिया गया। इससे पहले 2016 में गुड़गांव के मंडावर गांव में लोगों ने तेंदुए को पीट-पीटकर मार डाला था। गुड़गांव-फरीदाबाद रोड पर अक्सर तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर तेंदुओं की मौत होती रहती है। हाल में 26 जनवरी की रात पाली चौकी के पास एक 10 महीने के तेंदुए के बच्चे की मौत हो गयी थी। अक्सर खाने की तलाश में तेंदुए जंगल से बाहर आते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं।7 सालों में 120 से ज्यादा वन्य जीवों ने गवाईं जान-वन विभाग के अनुसार पिछले सात सालों में 120 से ज्यादा वन्य जीव गुड़गांव-फरीदाबाद रोड को पार करते वक्त मारे गए हैं। ये तो वो हैं जो रिकॉर्ड में हैं और जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं उनकी कोई गिनती भी नहीं। वन विभाग इस सड़क पर सरकार से टनल या कॉरिडोर बनाने के लिए कई बार लिख चुका है ताकि ये वन्य जीव आराम से सड़क पार कर सकें। लेकिन अरावली को खत्म करने पर तुली सरकार के कान पर आजतक कोई जूं रेंगी ही नहीं।तेंदुए, लकड़बग्घे और गीदड़ की संख्या में हुआ इजाफा-नवभारत टाइम्स में छपी 2017 की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार अरावली में सबसे ज्यादा तेंदुए, लकड़बग्घे और गीदड़ की संख्या में इजाफा हुआ है। फरीदाबाद और गुड़गांव जिलों के अंतर्गत आने वाले घामरोज, भोंडसी, रायसीना, मांगर, गोठड़ा, बड़खल, कोटला, कंसाली, नीमतपुर, खोल और पंचोटा में तेंदुए और लकड़बग्घों की स्थिति काफी बेहतर है।बेचेगा सिर्फ कंक्रीट जंगल और घुट घुट कर जीते आप और हम-अब इसी तरह अगर शहरों में तेंदुए दिखाई दिए तो हमें चौंकना नहीं चाहिए। ये आम होने जा रहा है और बस कुछ ही सालों की बात है फिर न ये जंगल रहेंगे और न ये वन्य जीव। रहेगा तो कंक्रीट का जंगल और उसमें घुट-घुट कर मरते आप और हम….